नीमच। देश की आजादी के 75 वर्ष के अवसर अमृत महोत्सव के अंतर्गत मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में संभागीय मुख्यालयों पर नवोदित रचनाकारों पर आधारित "तलाशे जौहर" कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद अब ज़िला मुख्यालयों पर स्थापित एवं वरिष्ठ रचनाकारों के लिए "सिलसिला" के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इस कड़ी का तेंतीसवां कार्यक्रम बंधन गार्डन, नीमच में 19 नवंबर 2022 को शाम 5 बजे "शेरी व अदबी नशिस्त" का आयोजन ज़िला समन्वयक अकबर हुसैन के सहयोग से किया गया।
अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी के अनुसार उर्दू अकादमी द्वारा अपने ज़िला समन्वयकों के माध्यम से प्रदेश के सभी ज़िलों में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत "सिलसिला" के अन्तर्गत व्याख्यान, विमर्श व काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। ज़िला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में सम्बंधित ज़िलों के अन्तर्गत आने वाले गाँवों, तहसीलों, बस्तियों इत्यादि के ऐसे रचनाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है जिन्हें अभी तक अकादमी के कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिला है अथवा कम मिला है। इस सिलसिले के बत्तीस कार्यक्रम भोपाल, खण्डवा, विदिशा, धार, शाजापुर टीकमगढ़, सागर एवं सतना, रीवा, सतना सीधी, रायसेन, सिवनी, नरसिंहपुर नर्मदापुरम दमोह, शिवपुरी, ग्वालियर, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, बालाघाट, छिंदवाड़ा, अशोक नगर, हरदा बैतूल, जबलपुर, गुना, बड़वानी, इंदौर, कटनी, सीहोर, खरगोन राजगढ़ एवं शहडोल में आयोजित हो चुके हैं और आज यह कार्यक्रम नीमच में आयोजित हुआ जिसमें नीमच ज़िले के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।
नीमच ज़िले के समन्वयक अकबर हुसैन ने बताया कि आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में 10 शायरों और साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर अब्दुल वाहिद ने की। मुख्य अतिथि के रूप में हाजी मुबारक हुसैन एवं विशेष अतिथि के रूप में नसीम बानो मंच पर उपस्थित रहे।
जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर इस प्रकार हैं।
अब्दुल वहीद 'वाहिद'
मैं शायरों का बहुत एहतराम करता हूं
बसद ख़ुलूस मैं उन से कलाम करता हूं
ये ताजदार हैं इंसानियत की अज़मत के
मैं इन के लौहो क़लम को सलाम करता हूं
आलम तौक़ीर 'आलम'
ज़ौक़े सब्रो ज़ब्त से है,ज़िंदगी आराम कुन
सद हजाराँ ज़ख्म हैं,जीता हूं फिर भी शान से
मंसूर अली 'मंसूर'
जुदा जब तक तेरी ज़ुल्फ़ों के पेचो ख़म नहीं होंगे
सितम दुनियां के बढ़ते ही रहेंगे कम नहीं होंगे
निरंजन गुप्त 'राही'
इक हल्की से बारिश से फिर ज़ख्म हुए हरियाले हैं
हम ने भी तो कैसे- कैसे दिल को गम दे डाले हैं
अब्दुल हमीद 'हमीद'
उम्र कट गई ख़ुद को बे-ख़तर बताने में
देर ना लगी तुमको फैसला सुनाने में
मोहम्मद हुसैन शाह 'अदीब'
बेटी है वरदान ईश का, श्रष्टि का आधार है
बेटी से ही तो बनता, ये रिश्तों का संसार है
अकबर हुसैन 'शफक़'
बात मेहशर पे छोड़ दे वाइज़
कौन है कामियाब देखेंगे
कार्यक्रम का संचालन आलम तौक़ीर 'आलम' द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत में अकबर हुसैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।