नीमच। शहर के बंगला व बगीचा क्षेत्रों में निवासरत करीब 50 हजार की आबादी गत 41 सालों से मालिकाना हक के लिए लड़ाई लड़ रही है। इतनी आबादी की समस्या का अधूरा समाधान कर वर्ष 2017 में शिवराज सरकार ने इन्हें किरायेदार बनाने के मसौदे को पारित किया था।
कैबिनेट में पारित मसौदे के माध्यम से इन नागरिकों पर लाखों रूपये के टैक्स थोपे गए थे। समस्या के समाधान के बाद से ही लोग और भी परेशान हो रहे हैं। आज भी बंगला-बगीचा क्षेत्रों में विकास नहीं हो पाया है। कई बड़े भूखंड खाली पड़े हैं। इनमें गाजर घास व कंटीली झाड़िया उग आई है। खाली प्लॉटों में लोग कचरा फेंक रहे हैं। यह पूरी स्थिति मकान निर्माण की अनुमति नहीं मिलने से बन रही है। सरकार को पारित मसौदे में बदलाव कर जनता को राहत देनी चाहिए। समस्या का समाधान जनता के हित में करना चाहिए।
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1980 के दशक में उपजी समस्या का अब तक स्थाई समाधान नहीं-
शहर में वर्ष 1980 के दशक में बंगला-बगीचा समस्या उपजी थी। तब से लेकर आज तक इस समस्या का शत-प्रतिशत समाधान नहीं हो पाया है। लंबे समय से चली आ रही इस समस्या का नागरिक स्थाई समाधान चाहते हैं। समस्या के बने रहने से नागरिकों को नारकीय जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है। उन्हें ना तो मकान निर्माण की अनुमतियां मिल रही है और ना ही योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। बंगला-बगीचा क्षेत्रों में निवासरत लोगों को बैंक भी लोन नहीं देती है। नागरिकों का कहना है कि सरकार को व्यवस्थापन बोर्ड के जटिल नियमों को सरल कर व लीज रेंट सहित अन्य करों को कम कर जनता को राहत देनी चाहिए।
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बंगला-बगीचा क्षेत्र में निवासरतों की पीड़ा-
‘शहर के बंगला-बगीचा क्षेत्रों में करीब 50 हजार से अधिक नागरिक निवास करते हैं। यह सभी नागरिक चाहते है कि इस समस्या का स्थाई समाधान हो। सरकार द्वारा 2017 में बनाए गए व्यवस्थापन के जटिल नियमों में बदलाव हो। हमारी यह जमीन पूर्वजों ने खरीदी है। हम चाहते हैं कि इस पर हमें मालिकाना हक मिले। हमारे पास रजिस्ट्री भी है। सालों से नगर पालिका को सभी तरह का टैक्स देते आ रहे हैं। नपा में काबिज भाजपा के बोर्ड ने भी चुनाव में वादा किया था कि नियमों में संशोधन करेंगे। लेकिन दो बैठकों के बाद भी ऐसा नहीं हुआ। - संजय घेंघट, बंगलावासी
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‘बंगला-बगीचा क्षेत्रों में निवासरत लोग स्वयं की भूमि पर अधिकार को लेकर कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं। सरकार द्वारा बनाए गए व्यवस्थापन बोर्ड तक 4 सालों की अवधि में सिर्फ 1 हजार 970 आवेदन ही पहुंचे हैं। इनमें से भी कई आवेदकों को अब तक व्यवस्थापन का इंतजार है। सरकार के जटिल नियमों के चलते नागरिक इस समाधान को ही समस्या मान बैठे हैं। प्रदेश की शिवराज सरकार को पुनः समस्या पर विचार कर जनता के हित में नियम बनाने चाहिए। कई क्षेत्रों में नागरिकों तक मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंचती है।- कपिल सैनी, बंगलावासी