नीमच। मनासा के वरिष्ठ पत्रकार स्व रमेशचंद्र ओझा की फर्जी वसीयत बनाने के मामले में मनासा पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था। जिस पर पूर्व में दो आरोपियों ने अग्रीम जमानत याचिका न्यायालय में पेश की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद हरीश एनिया नाम के आरोपी ने भी कोर्ट में अग्रीम जमानत के लिए आवेदन किया था, जिसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब सवाल यह है कि आरोपी अग्रीम जमानत के प्रयास में जुटे हुए हैं, और पुलिस फरार आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पा रही है, जबकि तीन आरोपी तो शासकीय सेवक हैं, ऐसे में क्या वे विभागीय अवकाश लेकर फरारी काट रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार स्व रमेशचंद्र ओझा के छोटे पुत्र पियूष ओझा ने अधिवक्ता रजनीश शर्मा के माध्यम मनासा न्यायालय में वाद दायर किया था कि उसके पिता स्व ओझा की फर्जी वसीयत तैयार कर उसके भाई अनूप ओझा, भाभी लतिका ओझा, बहन प्रीति व्यास, बहनोई नरेंद्र उर्फ सुनील व्यास, दलाल विवेक सोनी व हरिश एनिया पिता की संपत्ति का क्रय-विक्रय कर दिया है और संबंधित संपत्ति का नगर परिषद ने नामांतरण भी कर दिया है। वाद पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने मनासा पुलिस को आदेशित किया था कि मामले में आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 465, 467 आदि में प्रकरण दर्ज करें। न्यायालय के आदेश में पुलिस ने सभी 6 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया था। हालांकि प्रकरण में अभी तक पुलिस ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है, जबकि सभी आरोपी खुलेआम घुम रहे हैं। इसके अलावा तीन आरोपी अनूप ओझा मनासा तहसील के पिपल्यारावजी मे शासकीय स्कूल मे प्रभारी प्राचार्य, प्रीती व्यास मन्दसौर तहसील के स्कूल में टीचर और नरेन्द्र उर्फ सुनील व्यास कलेक्टर कार्यालय मन्दसौर मे प्रभारी सहायक सुपरिन्टन्डेन्ट होकर लायसेंस शाखा मे पदस्थ सरकारी कर्मचारी है। आरोपी लतिका ओझा कार्मल कान्वेन्ट स्कूल मनासा में टीचर है और ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठ रहे हैं।