नीमच। जिला नीमच के ग्राम रेवली देवली में चल रही संगीत में श्रीमद देवी भागवत महापुराण के विश्राम दिवस पर भागवत आचार्य पंडित सोमनाथ शर्मा जी ने कथा के विश्राम दिवस पर कथा को प्रारंभ करते हुए भगवती दुर्गा की सुंदर कथा को सुनाया और बताया कि किस प्रकार देवी ने दुर्गम नाम के राक्षस का वध किया जब दुर्गा में नाम की राक्षस ने सभी वेदों का हरण कर लिया था तो देवताओं और ब्राह्मणों की प्रार्थना पर मां शक्ति ने दुर्गा का अवतार लिया और दुर्गम नाम के राक्षस को मारा वेद सभी देवताओं को बल देने वाले हैं और वेद के मंत्र ब्राह्मणों के अधीन है जिस स्थान पर वेद मंत्र बोले जाते हैं सभी देवी देवता वहां पर उपस्थित रहते हैं और मनुष्य का कल्याण करने के लिए उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। व्यास जी ने बताया कि सनातन धर्म में वेदों की और पुराणों की बहुत महिमा है वेद और पुराण की निंदा से भगवान की निंदा का दोष लगता है और वीर का सम्मान करने से भगवान का सम्मान मान लिया जाता है।
कथा के सातवें दिवस उन्होंने बताया कि किस प्रकार देवी ने अरुण नाम के राक्षस का वध किया और भ्रामरी नाम का अवतार लिया सातवें दिवस की कथा में हजारों की संख्या में श्रोता उपस्थित होकर धर्म लाभ लिया और कथा का श्रवण किया। जिससे पंडाल खचाखच भरा हुआ था और कथा कथा के सातवें दिवस सभी श्रोताओं ने भजन पर झूमकर आनंद लिया। महिषासुर मर्दिनी मंदिर के कलश स्थापना के पर्व पर यह सुंदर आयोजन महारानी भक्त मंडल के द्वारा एवं रेवली देवली महिषासुर मर्दिनि मंदिर समिति के द्वारा कराया जा रहा था। सुबह जैसे ही यज्ञशाला का काम संपन्न कराया गया, उसके बाद आसपास के क्षेत्रों का भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। कलश स्थापना को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी माता जी के जयकारे लगा रहे थे तथा यज्ञ आचार्य पंडित अनिल शास्त्री एवं उनके सहयोगी पुरोहित ने बड़े ही विधि विधान के साथ वर्षों से अधूरे कार्य को कलश स्थापना के रूप में संपन्न करा इस कार्य को पूर्ण किया। कलश स्थापना के बाद नो दिवस तक हुए सहस्र चंडी यज्ञ जजमान द्वारा पूर्णाहुति के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 15 से 20000 लोगों ने भंडारे का प्रसादी ग्रहण की। इस कार्यक्रम के बाद जैसे ही पंडित सोमनाथ शर्मा निकले तो समिति के सभी सदस्यों की आंखें भर आई साथ ही यज्ञ में बैठे जजमान भी पंडित अनिल शास्त्री यज्ञ आचार्य के सामने भावुक होते दिखे। होना भी लाजिमी था क्योंकि समिति के सदस्यों को अब सुना सुना दिखाई देने लगा है। करेली देवली ने वैसे तो इतिहास रच दिया है जोकि क्षेत्रवासियों के सहयोग के असंभव था।