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April 2, 2023, 6:05 pm
KHABAR : जिलेवासियों से विश्व हिंदू परिषद ने किया आव्हान, बोले- हनुमान जयंती नहीं हनुमान जन्मोत्सव संबोधन का करें उपयोग, पढ़े खबर 

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नीमच। चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान श्री हनुमान का जन्म दिवस आता है, जिसे हनुमान जयंती की अपेक्षा हनुमान जन्मोत्सव कहा जाए तो बेहतर होगा। विश्व हिंदू परिषद जिला संगठन पदाधिकारियों ने निवेदन करते हुए बताया कि वरिष्ठ धर्माचार्यों के अनुसार जयंती उन लोगों की होती है, जो लोग संसार में अपने कर्म करने के बाद परमधाम पहुंच जाते हैं। लेकिन हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है। वे आज भी धरती पर विद्यमान हैं, तो उनकी जयंती भला कैसे मनाई जा सकती है।  

देश के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो जयंती, जन्मोत्सव और जन्मदिवस तीनों में ही अंतर है, जिसके विषय में लोगों को जानकारी नहीं है। साधारण मानव जो जीवित हैं, उनकी जन्म तिथि को उनके जन्मदिन के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इसीलिए अपने माता पिता, भाई बहन, मित्र और परिचितों का हम जन्मदिन मनाते हैं। जब कोई महान विभूति धरती पर अपने कर्म करने के बाद परमधाम को प्रस्थान कर जाती है, तो उसके जन्म की तिथि को जयंती के तौर पर मनाया जाता है जैसे विवेकानंद जयंती, महात्मा गांधी जयंती, वीर शहीद भगत सिंह सुखदेव राजगुरु की जयंती आदि। लेकिन जब कोई देव धरती पर अवतार लेते हैं, तो उनके जीवित रहते हुए उनके जन्म तिथि के उत्सव को जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। वहीं देव अपना कार्य पूर्ण करके धरती से अपने धाम को प्रस्थान भी कर जाएं, तो भी उनके जन्मोत्सव को जयंती नहीं कहा जाता जैसे श्रीकृष्ण और राम जी के धरती पर सशरीर विद्यमान न होने के बावजूद उनके जन्मोत्सव को जन्माष्टमी और राम नवमी के तौर पर मनाया जाता है। लेकिन कृष्ण जयंती और राम जयंती नहीं कहा जाता। अब बात करें हनुमान जयंती की, तो हनुमान जी रुद्रावतार हैं और अजर-अमर हैं। वे आज भी धरती पर सशरीर विद्यमान हैं, ऐसे में उनकी जन्म तिथि का उत्सव जयंती के तौर पर नहीं, बल्कि जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाना चाहिए। यही शास्त्र सम्मत है।
धर्म पुराणों अनुसार संसार में अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि को अमर माना गया है। माना जाता है कि ये आठ लोग आज भी धरती पर सशरीर विद्यमान हैं। हनुमान बाबा गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। गंधमादन पर्वत हिमालय के हिमवंत पर्वत के पास हैं जिसे यक्षलोक भी कहा जाता है। हनुमान जी के निवास स्थान का उल्लेख कई ग्रंथों में मिलता है। एक कथा के अनुसार जब अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव हिमवंत पार कर गंधमादन के पास पहुंचे थे, तब भीम सहस्त्रदल कमल लेने गंधमादन पर्वत के जंगलों में गए थे, यहां पर उनका घमंड हनुमान जी ने तोड़ा था। कहते हैं कि इसी पर्वत पर एक मंदिर भी है, जिसमें हनुमान जी की मूर्ति और उनके आराध्य श्री राम और माता सीता की मूर्ति मौजूद है ।

तीन मुख्य बिंदुओं में समझिए जयंती और जन्मोत्सव में अंतर-
- जयंती का मतलब होता है किसी ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन जो जीवित नहीं है। वहीं जन्मोत्सव का मतलब होता है जो व्यक्ति दुनिया में जीवित हो उसका जन्मदिन। इसलिए हम किसी को भी जन्मदिन की बधाई देते हैं तो शुभ जयंती नहीं बल्कि शुभ जन्मोत्सव कहते हैं।   
- जन्मदिन ऐसा दिन होता जिस तिथि में व्यक्ति का जन्म हुआ हो और हर साल जन्मदिन का अवसर आता है। इस तरह आपके जीवित रहने तक जन्मदिन की पहली सालगिरह, दूसरी सालगिरह, तीसरी सालगिरह। आदि का मिलान वर्तमान जन्मदिन से किया जाता है। 
- इसलिए हनुमान जी के जन्मदिन की तिथि को भी जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना सही है। क्योंकि कहा जाता है कि भगवान हनुमान आज भी सशरीर इस धरती पर मौजूद हैं।

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