नीमच। प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में घोटाले को लेकर छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। गुरुवार को नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के सदस्य कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन दिया। छात्रों ने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जमकर नारेबाजी भी की। छात्रों ने चयन को दूषित मानते हुए दोबारा परीक्षा कराने और मामले की जांच की मांग की। दरअसल, प्रदेश में हाल ही में पटवारी भर्ती परीक्षा के परिणाम आए हैं। इसमें चयनित टाप-10 में से सात पटवारी ग्वालियर के एनआरआइ कालेज के सेंटर से ही चुने गए हैं। इसे लेकर चयन सूची पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि उक्त भर्ती, जिस परीक्षा एजेंसी से कराई जा रही है वह कंपनी केंद्र सरकार द्वारा ब्लैक लिस्ट की हुई है। फिर भी ईएसबी ने इस ब्लैक लिस्टेड कंपनी को टेंडर दिया। परीक्षा पेपर मे प्रश्न को लेकर सवाल खड़े हुए है कि एक पेपर मे 30-35 प्रश्न गलत है, कुछ के उत्तर गलत है, कुछ ट्रांसलेट गलत है, कुछ डाटा से बाहर है फिर भी इनके इतने अधिक नंबर आना सन्देह से भरा है। जब परीक्षा चल रही थी तब ग्वालियर, मुरैना, सागर के कुछ संदिग्ध पकड़ाए थे जो पैसा लेकर थंब क्लोन बनाकर फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे थे। भर्ती परीक्षा में जानबूझकर परीक्षार्थी को पास के सेंटर छोड़कर 400-500 किमी दूर सेंटर दिए गए। जून 2023 की खबर है कि ईएसबी ने भर्ती बिना जैमर के करा दी गयी जबकि ऑनलाइन भर्ती परीक्षा मे जैमर अत्यंत जरूरी है। विगत वर्ष 2022 से शिक्षक भर्ती वर्ग 3 की परीक्षा मे भी फर्जीवाड़ा सामने आया था जिसमे एनीडेस्क के जरिये स्क्रीन शेयर कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था, तब भी यही ब्लैक लिस्टेड परीक्षा एजेंसी थी।
साथ ही ज्ञापन में मांग की गई है कि पूर्ण परीक्षा की सीबीआई जांच हो। टॉप 10 टॉपर्स की पूरी विडियोग्राफी जिसमे उनका रिस्पॉन्स टाइम प्रदर्शित होता हो उसे जारी किया जाए। उन्ही 10 टॉपर्स का विषय विशेषज्ञों की उपस्थिति में मिडिया ट्रायल कराया जाए। ये समस्त जाँच समय बद्ध तरीके से 10 दिन में ही पूर्ण की जाए।
उपरोक्त जांच पूरी होने तक डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन और नियुक्ति की प्रक्रिया को लंबित किया जाए। आगे आने वाली समस्त परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन को बन्द कर परीक्षाओं को ऑफलाइन मोड में आयोजित किया जाए। दिव्यांग कोटे में पात्रता हेतु कई अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए जा रहे है जिनकी जांच करवाकर दोषियों को सजा हो।
सदस्यों ने कहा कि सभी बिंदु से इस एग्जाम में धांधली की शंका मध्यप्रदेश के हजारों छात्रों के बीच व्याप्त हो रही है। अतः उपरोक्त सभी बिंदुओं की जांच करा कर छात्रों के समक्ष जांच का ब्यौरा प्रस्तुत किया जाए, ताकि छात्रों का सरकार पर भरोसा सुदृढ़ हो। मध्यप्रदेश के तमाम युवाओं की मांग है कि मध्यप्रदेश में पेपर लीक के विरुद्ध में कानून बनाया जाए जिसमें प्रावधान किया जाए जो भी व्यक्ति पेपर लीक का दोषी पाया जाता है उसे आजीवन कारावास की सजा मिले।