चित्तौड़गढ़। अयोध्या से आई दीदी मंदाकिनी रामकिंकर ने कहा कि जीवन को सार्थक बनाना हैं तो गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित राम चरित मानस की स्थापना घर घर में की जानी चाहिए ताकि मनुष्य को सभी दुखों से निजात मिल सके। दीदी मंदाकिनी बुधवार को 20 वें कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में श्रीराम कथा मंडप में व्यासपीठ से श्रीराम कथा का रसामृतपान करा रही थी। उन्होंने आह्वान किया कि पूरे मनोयोग के साथ कथा रूपी अमृतरस में प्रवेश कर जीवन को धन्य बनाए। उन्होंने कहा कि शब्द रूपी विग्रह की प्रार्थना कर वंदना के लिए बहिर्मुखी प्रवृत्ति को त्याग कर प्रभु के मंगलमय धाम में प्रवेश करें।
उन्होंने कहा कि कथा श्रवण के लिए राघवेन्द्र सरकार एवं माता जानकी जी को ध्यान में रखकर कथा श्रवण करनी चाहिए। उन्होंने मानस के बालकाण्ड का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि गोस्वामी जी ने मानस की रचना के साथ गणेश, सरस्वती, भवानी, शंकर, गुरूदेव, हनुमान, वाल्मीकि और सीताराम सहित नौ देवों की वंदना करते हुए सभी देवताओं में गुरू को श्रेष्ठ स्थान दिया। उन्होंने अपने मानस के सभी सात काण्ड में गुरू की महिमा का बखान किया हैं, क्योंकि गुरू ही ज्ञान के दाता हैं। उन्होंने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा हमारी संस्कृति का परिचायक हैं। 84 लाख यौनियों में मानव देह श्रेष्ठ हैं, जिसके माध्यम से प्रभु को प्राप्त किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि घट घट में प्रभु विद्यमान हैं, लेकिन दिखाई नहीं देता हैं। इसलिए गोस्वामी जी ने अपनी रचना में ईश्वर अंश जीव अविनाशी लिखकर सच्चिदानंद स्वरूप का वर्णन किया हैं। जीवात्मा से परमात्मा को मिलाने वाला गुरू ही होता हैं। उन्होंने शिक्षा एवं दीक्षा में अंतर बताते हुए कहा कि शिक्षा सभी को दी जाती हैं, लेकिन दीक्षा को पात्र व्यक्ति को ही दी जा सकती हैं। गुरू ज्ञान देने के लिए शिष्य को पात्र बनाकर ज्ञानामृत प्रदान करते हैं। शिक्षा ग्रहण करने से बुद्धि खुलती हैं, लेकिन गुरू दीक्षा से ईश्वर जागृत होते हैं। शिक्षा मन को चेतन्य बनाती हैं, लेकिन दीक्षा से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हो सकता हैं। दीदी मंदाकिनी ने तुलसी के जीवन का वृतांत सुनाते हुए कहा कि उनका जन्म पंडित आत्माराम दुबे के यहां मूल नक्षत्र में होने से माता पिता ने उनका त्याग कर दिया। जिनका पालन पोषण एक दासी ने किया। तिरस्कृत जीवन जीने वाले बालक को संत नरहरिदास ने शरण देकर राम नाम का गुरू मंत्र देकर धन्य किया। इसी नाम के जाप से तुलसीदास विश्व प्रसिद्ध राम चरित मानस के रचनाकार बन गए। उन्होंने कहा कि मानस को यूनेस्को ने विश्व स्तरीय कृति के रूप में सम्मान दिया हैं, जो हम सब के लिए गौरव की बात हैं। प्रारंभ में वेदपीठ के न्यासियों एवं पदाधिकारियों ने व्यासपीठ का पूजन किया। वहीं दीदी मंदाकिनी ने वेदपीठ पर विराजित ठाकुर श्री कल्लाजी के मनोहारी दर्शन कर मुख्य यजमान एवं मुख्य आचार्य के रूप में उनकी पूजा करते हुए अपने आध्यात्मिक गुरू राम किंकर जी की पूजा कर सर्वत्र खुशहाली की कामना की। इस दौरान भजन गायक कलाकारों ने अपने ही अंदाज में हमारी स्वामीनी सीयजू कृपा एक बार हो जाए तथा कल्लाजी को समर्पित जय जय कल्लाजी महाराज मैं शरण पड़यो रे थारी जैसे भजनों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
मनोहारी झांकी के साथ ठाकुरजी को धराया छप्पनभोग-
कल्याण महाकुंभ के द्वितीय दिवस बुधवार को वेदपीठ पर विराजित ठाकुरजी सहित पंचदेवों का मनभावन श्रृंगार भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा। वहीं सतरंगी फूलों से सजी झांकी के साथ छप्पनभोग के रूप में न्यौछावर किए गए सूखे मेवे के थाल ठाकुरजी की शोभा को द्विगुणित कर रहे थे। बड़ी संख्या में ठाकुरजी के दर्शन कर श्रद्धालुओं ने उनकी महिमा को अनुकरणीय बताया।
सप्त दिवसीय श्रीराम महायज्ञ आज से-
कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में शुक्रवार से सप्त दिवसीय श्रीराम महायज्ञ का शुभारंभ किया जाएगा। वेदपीठ की परंपरा अनुसार प्रातरू यजमानों द्वारा हेमांद्री स्नान के पश्चात यज्ञ मंडप में स्थापित सभी देवी देवताओं की वैदिक मंत्रोच्चार से पूजा कर अरणीय मंथन के माध्यम से अग्निदेव को प्रकट कर यज्ञ कुण्डों में स्थापित किया जाएगा। इस दौरान बड़ी संख्या में यजमान, वीर-वीरांगनाएं एवं बटुक स्थापित देवताओं के नाम शाकल्य एवं गोघृत की आहूतियां देंगे।
रामार्चन कवि सम्मेलन आज-
कल्याण महाकुंभ के तृतीय दिवस शुक्रवार रात्रि को ठाकुरजी की संध्या महाआरती के पश्चात श्रीराम कथा मंडप में अखिल भारतीय रामार्चन कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा हैं। जिसमें ख्यातनाम कवि अपनी वीर रस की रचनाओं से श्रोताओं को वीर रस से ओतप्रोत करेंगे। इस मौके पर कवि देवास के शशिकांत यादव राष्ट्रीय कवि मंच संचालक, गाजियाबाद वीर रस कवि मोहित शौर्य, आगरा के मोहित सक्सैना, सैनिक कवि कोटा नरेश निर्भीक, नागपुर श्रद्धा शोर्य, प्रतापगढ़ विजय विद्रोही, कल्याणनगरी के जया धनगर और कल्याणनगरी विनोद सोनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत करेंगे।