चीताखेड़ा। चोर हैं कि मानते नहीं, और पुलिस है कि पकड़ने का नाम ही नहीं लेती। चोर और पुलिस के इस खेल में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है किसानों को। एक ओर तो प्रकृति साथ नहीं दे रही, ऊपर से फसलों के उचित दाम भी नहीं मिल रहे, और रही-सही कसर पूरी कर रहे हैं अज्ञात चोर, जो रातों-रात खेतों पर लगी विद्युत मोटरों की केबिलें और स्टार्टर काट कर ले जा रहे हैं। इससे किसानों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
जीरन थाना और चीताखेड़ा पुलिस सहायता केंद्र पर पुलिस अधिकारियों के तबादले तो हो रहे हैं, लेकिन व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं दिख रहा। नतीजतन अज्ञात चोर बेखौफ होकर एक के बाद एक चोरी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। सवाल यह उठता है कि जब पुलिस तस्करों को जान जोखिम में डालकर पकड़ सकती है, तो फिर मंदिरों, मकानों और खेतों से चोरी करने वाले चोरों पर सख्ती क्यों नहीं दिखाती?
ज्ञात हो कि जीरन थाना क्षेत्र में और खासकर चीताखेड़ा में बीते कुछ महीनों से लगातार किसानों के खेतों में लगे ट्यूबवेल और कुओं से विद्युत मोटरों की केबिलें चोरी हो रही हैं। चीताखेड़ा में पहले भी कई किसानों के खेतों में ऐसी वारदातें हो चुकी हैं, जिसकी सूचना किसानों ने समय पर पुलिस को दी, लेकिन पुलिस ने मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
ताजा घटना 13-14 जून की मध्य रात्रि की है, जब हरनावदा गांव के किसानों को चोरों ने अपना निशाना बनाया। किसान राधेश्याम जाट, रामसिंह जाट, भगतराम जाट, लालसिंह जाट, गोपाल जाट, शिवराम जाट, भंवरलाल भील और लालचंद भील के खेतों से विद्युत मोटरों की केबिलें और मोटरें चुरा ली गईं। इस घटना की लिखित सूचना किसानों ने पुलिस को दे दी है।
अब देखना यह होगा कि क्या पुलिस इस बार अज्ञात चोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है या हमेशा की तरह किसानों की फरियाद को अनसुना कर फाइलों में दबा देगी।