नीमच शहर एक बार फिर बे फ़िज़ूल के मुद्दे में उलझा बैठा है और ये राजनेताओ का पुराना पैंतरा है के कैसे आम जनता को मुद्दों से भटकाया जाया जिस दिन परिषद् सभागृह में बेरिकेटिंग हुयी उसी दिन ये संकेत मिल गए थे की अब यह नूरा कुश्ती चलेगी और हुआ भी यही इस बेरिकेटिंग में नीमच शहर के असली मुद्दे हवा हो गए और पूरा शहर इस बेसिर पैर की बातो में लग गया
परिषद् की दूसरी बैठक मात्र दस मिनिट में सम्पन्न हो गयी कोंग्रेसी हो हल्ला करते रहे और करते रहेंगे कॉडर बेस भाजपा की सेहत पर इसका कोई असर नहीं होने वाला क्योकि बीजेपी को पता है की पूरे पांच साल अब उनको कोई हिला नहीं सकता
जो भी लोग सत्ता में बैठते है उनके अपने दो एजेंडे होते है एक वो जो पब्लिक फोरम पर बोलते है और एक होता है हिडन एजेंडा परिषद् की दूसरी ही बैठक से उस हिडन एजेंडे पर काम शुरू हो चुका नगर पालिका चुनाव से पहले बीजेपी ने जिन दावों के ढोल पीटे थे उसकी मामूली झलक भी अब तक नहीं दिखी
सवाल यह उठता है की जो मुद्दे सालो से कानूनी पेचीदगियों में उलझ कर धूल खा रहे है उन पर बात करने के लिए कोई तैयार नहीं पुरानी परिषद् के अधूरे कामो को ताक में रखकर नयी परिषद् सैंकड़ो प्रस्ताव और पास कर लेगी फिर आने वाली परिषद् के लिए विरासत में वो इन अधूरे कामो का अम्बार छोड़ जायेगी लेकिन जो आम लोगो की मूल भूत समस्या है उस पर क्या कारगर कदम उठाना है इस पर कोई बात करने को तैयार नहीं
नीमच शहर की बात करे तो आज भी शहर का पचास प्रतिशत से ज़्यादा आबादी अपने निजी संसाधनों से पानी की आपूर्ति करती है पिछले बीस सालो से शहर की पेयजल सप्लाय व्यवस्था चरमराई हुयी है लेकिन इस पर बात कौन करे शहर में ईंट भट्टो का मामला सालो से लंबित है उस पर चर्चा कौन करे बँगला बगीचे के मामले में कहने को कुछ बचा नहीं 70 साल से जो लोग इन ज़मीनो में निवास करते आ रहे है वो इनके मालिकाना हक़ से महरूम है सैंकड़ो लोग इस आस में दुनिया छोड़ चुके और जो बच्चे थे वो अब बूढ़े होने लगे अब वो विरासत में अपनी अगली पीढ़ी को यह जंजाल देकर जाने की तैयारी में है लेकिन इस पर बात कौन करे शहर की एक चौथाई आबादी लीज नवीनीकरण की मुश्किल से दो चार हो रही है लेकिन उनकी परवाह किसे स्कीम नबर 34 - 36 का मामला भी बड़ा अजीबो गरीब है नगर पालिका के जिन अफसरों ने इस भूमि घोटाले को अंजाम दिया वे तमाम एफआईआर और जांचो से बरी हो चुके उन पर लगने वाले तमाम चार्ज खत्म हो गए लेकिन जिन लोगो ने वो प्लाट ख़रीदे वो अब तक अधर में लटके है कितनी अजीब बात है की नगर पालिका अखबार में विज्ञप्ति देकर प्लाट बेचती है और उसका सीएमओ रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर रजिस्ट्री करवाता है प्लाट की कीमत नगर पालिका के बैंक खाते में जमा होती है और कुछ आरसे बाद प्लाट खरीदने वालो को पता चलता है वो खरीदा गया प्लाट तो अवैध है यदि वो आवंटन सही नहीं था तो तत्काल प्रभाव से निरस्त क्यों नहीं हुआ और उनके रूपए क्यों नहीं लौटाए गए और जिन लोगो ने इस काम को अंजाम दिया उनका क्या उखड़ा
अब कोई आम आदमी किस पर भरोसा करे आज नपा सीएमओ कोई विज्ञप्ति जारी कर कुछ बेचता है और कल वो अवैध नहीं होगा इसकी क्या ग्यारंटी है जब प्रशासनिक अफसर ही फर्जीवाड़े पर आमादा हो तो आम आदमी किस पर एतबार करे लेकिन इन मुद्दों पर बात करने वाला कोई नहीं
नीमच नगर पालिका में कोई भी काम की फ़ाइल यह देखकर चलती है की ये ये मुर्गी कितनी मोटी है यदि मुर्गी मोटी है तो फ़ाइल चलती है वरना गरीब गुरबों की किसको पड़ी है नपा की टेबलों पर होने वाली बेईमानी पर यदि शहर के कमल चौक पर आम जनता से हाथ खड़े करवा लिए जाए तो पूरा शहर कहेगा की यह बात सही है उसके बावजूद नपा के अफसरों की काली कारतूत पर कोई बात करने को तैयार नहीं
ऐसे अनेको जमीनी मुद्दों के बावजूद राजनेता एक बार फिर अपने पैंतरे में कामयाब हुए और उन्होंने हज़ारो लोगो को बेसिर पैर के मुद्दे में उलझा दिया अब ये शहर परिषद् में हाल में लगने वाली जालियो में उलझा है कोई इसे पिंजरा बता रहा है तो कोई कैदखाना जबकि राजनेताओ ने अपने बेहद पुराने पैंतरे का इस्तेमाल कर जनता को बेहद आसानी से गुमराह कर दिया