नीमच। पिछले दो-ढाई साल में बघाना रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। अब तक केवल सर्वे के अतिरिक्त कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हुई है। ओवरब्रिज के लिए स्वीकृत अनुमानित बजट भी नाकाफी है। ऐसे में रेलवे ओवर ब्रिज कहीं सर्वे तक ही सिमट कर नहीं रह जाए।
यह कहना है पूर्व विधायक डॉ सम्पत स्वरूप जाजू का। उन्होंने हजारों लोगों के लिए ज्वलंत बन चुकी रेलवे फाटक की समस्या के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी देते हुए कहा है कि रेल्वे ओवर ब्रिज बनाने के लिए रेल मंत्रालय, राज्य सरकार एवं स्थानीय नगरीय संस्था के लिए नियम बने है। कौन से हिस्से पर कौन धन व्यय करेगा। इसके लिए किसे कितने बजट का प्रावधान रखना पड़ेगा।
डॉ जाजू ने बताया कि जहां तक मेरी जानकारी में है प्रस्तावित बघाना रेलवे ओवरब्रिज का अधिकांश हिस्सा रेलवे की जमीन पर होगा, जिसके लिए रेल्वे बोर्ड की स्वीकृति लेना पड़ेगी। इसके लिए सर्वे किया जाएगा। उसका प्रस्ताव बनाकर रेलवे बोर्ड और राज्य सरकार की स्वीकृति एवं बजट प्रावधान के लिए रखा जाएगा। डॉ जाजू ने बताया कि बघाना रेलवे ओवरब्रिज का सैद्धांतिक बजट स्वीकृति हुए दो वर्ष हो गए हैं। प्रदेश सरकार ने केवल चंद हजार रुपयों का बजट में प्रावधान रखा है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि रेल मंत्रालय ने ओवरब्रिज के लिए कितना बजट स्वीकृत किया है। ऐसे में दो वर्ष बाद पुन: अलग सर्वे होने जा रहा है। इसी से अंदाजा लग जाता है कि रेलवे ओवरब्रिज को धरातल पर क्रियांवित करने और जनता को इसका लाभ मिलने में कितने और वर्ष अभी लगना शेष हैं। सेतु विकास निगम की टीम ने विगत दो-ढाई वर्षों में तीसरी बार ओवरब्रिज के स्थल का निरीक्षण किया है। रेलवे की टीम अलग निरीक्षण करेगी। निरीक्षण करने के बाद वह पहले मुंबई प्रस्ताव भेजेगी। इसमें भी कितना समय लगेगा यह कहा नहीं जा सकता। ऐसे में कहीं ओवरब्रिज दिव्यस्वप्न बनकर ही नहीं रह जाए।