चित्तौड़गढ़। अष्टादश कल्याण महाकुंभ के द्वितीय दिवस ठाकुर जी की संध्या महाआरती के बाद अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। वाल्मिकी कथा मंडप में आए रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम से ऐसा समा बांधा कि मध्य रात्रि के बाद भी श्रोता आनंद उठाते रहे।
उदयपुर के सिद्धार्थ देवल ने कल्लाजी की महिमा का बखान करते हुए जब मैं कल्ला हूं मेवाड़ी सूरज ना झूकने दूंगा रचना पर जय श्री कल्याण का उद्घोष गुंज उठा। वहीं इंदौर से आए मुकेश मोलवा ने राम की महिमा के संदर्भ में जब मैंने राम की चरण पादूका का शासन देखा रचना सुनाई तो चहूं ओर जय श्रीराम का नारा गुंजने लगा। इसी दौर में इटावा से आए गौरव चौहान ने वातावरण को वीर रस से ओतप्रोत करते हुए युवाओं का आह्वान किया कि शोर्य अगर सो जाए तो राणा प्रताप को पढ़ लेना। लखनऊ के कमल आग्नेय ने अपने ही अंदाज में भारतीय आत्मा के प्राण तत्व श्रीराम जी ना होते तो यह देश नहीं होता रचना प्रस्तुत कर खुब दाद ली। वहीं गौरव पालीवाल ने एक बार फिर ठाकुरजी को नमन करते हुए ना धन दौलत चाहिए, ना हीरों की खान, कल्याण चरण की रज मिले तो हो जाऊ धनवान सुनाकर खुब तालियां बटौरी। नीमच की दीपशिखा रावल ने माँ भारती की वंदना करते हुए अजेय विश्व संपदा है वंदनी भारती सुनाया, जया धनगर ने मैं कल्याण नगरी की बेटी हूं, ईटावा के देवेन्द्र प्रताप आग ने पापियों के पक्ष में पितामह खड़े थे और केशव भी वहां थे, तटस्थ धर्म युद्ध में, जबकि रिवा के रूद्रप्रताप रूद्र ने अपने ही अंदाज में वीर रस से ओतप्रोत मैं कहता हूं चित्तौड़ सुनो, तुम कल्लाजी राठौर सुनो रचना के माध्यम से खुब जयकारे लगवाए।
कवि सम्मेलन के सूत्रधार विनोद सोनी ने अपने ही अंदाज में मंच पर कवियों को आमंत्रित करते हुए जब जिसके मन से दूर कपट, जो रहता है निष्काम उसके हृदय में बैठे मेरे राजा राम रचना सुनाकर जय श्री राम के नारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। मंगलवार रात्रि को बजरंग श्याम रंगीला मित्र मंडल के कलाकारों द्वारा मन भावन भजनों की प्रस्तुतियां दी जाएगी।