नीमच। स्वयं भू शिव भी मातृशक्ति के बिना अधूरा है.. इ की मात्रा नारी शक्ति का प्रतीक है, यदि शिव से इ की मात्रा हट जाए तो शव हो जाता है। नारी शक्ति ही तब बनती है जब उसपर इ की मात्रा लगकर संबंध का स्वरूप बनती है, पत्नि, चाची, काकी, मामी, ताई, माई, भाभी, दादी, नानी ये सभी संबंध वाचक रिश्ते नारी के सम्बन्धों की शक्ति का प्रतीक है किन्तु नारी को अपने स्वमान में भी रहना होगा.. नारी अबला नहीं शिव शक्ति है.. स्वयं शिव ने वर्तमान कलिकाल के अंत में नारी शक्ति को आगे रखकर विश्व परिवर्तन का कार्य सौंपा है।
उक्त विचार माउण्ट आबू से पधारीं राजयोगिनी शिवशक्ति ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने नीमच ब्रह्माकुमारीज़, पावन धाम के विशाल महिला सम्मेलन में व्यक्त किये। आपने बताया कि आज हजारों समर्पित ब्रह्माकुमारी बहनें और लाखों गृहस्थ माताऐं अपने स्वपरिवर्तन से हर घर में खुशहाली और विश्व परिवर्तन का संदेश दे रही हैं। इस विशाल महिला सभा को मानस मर्मज्ञ, राजयोग तपस्वी बीके सूर्य भाई जी ने नीमच प्रवास के अपने दूसरे दिन संबोधित करते हुए कहा कि महिला चाहे तो घर को स्वर्ग बना सकती है.. हर घर को मंदिर का स्वरूप दे सकती है.. सिर्फ इतना करना है कि जब कोई बात बिगड़े तो बड़ी बात को छोटा कर अपने हृदय में समा ले और सदैव यह याद रखे कि मैं कमजोर नारी नहीं शिव की शक्ति हूँ और यही नारी अपने दिव्य गुणों के विकास से अपने घर, परिवार, समाज व राष्ट्र का उत्थान कर सकती है।
इस सम्मेलन की सबसे खास बात यह देखी गई कि ठसाठस भरे सद्भावना सभागार में एक बार भी कोई हलचल या आपसी बातचीत का व्यवधान नहीं हुआ। सभी महिलाऐं पूरे तीन घण्टे तक एकाग्रचित्त होकर राजयोग ध्यान व दिव्य सत्संग का लाभ ले रही थी। इस कार्यक्रम का संचालन बी के श्रुति बहन ने किया तथा कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात आदरणीय बी के सूर्य भाई, बी के गीता दीदी, बी के सविता दीदी, रोहित भाई, श्रुति बहन एवं बी के सुरेन्द्र भाई ने संयुक्त रूप से गुलमोहर के दो पौधे रोप कर सभी को पर्यावरण रक्षा का संकल्प दिलवाया।