गरोठ। तहसील मुख्यालय से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम कोटडा बुजुर्ग श्रावण मास में शिवभक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहाँ प्रतिदिन दूर दराज से शिवभक्त अपनी मनोकामना लेकर अतिप्राचीन और दुर्लभ कल्पवृक्ष के जोडे के दर्शन करने आ रहे है। यहाँ अतिप्राचीन दो विशाल आकार के कल्पवृक्ष है, जिन्हें श्रद्धालु शिव और पार्वती के रुप में पूजते है। कल्पवृक्ष पर विभिन्न प्रकार की आकृतियाँ प्राकृतिक रुप से बनी है। कल्पवृक्ष धाम पर ही शिव परिवार विराजमान है। इसी स्थान पर महाकाल भगवान उज्जैन से लाई गई अखंड ज्योत भी निरंतर जल रही है। इस प्रकार से यह स्थान एक त्रिवेणी धाम बना हुआ है।
प्रति रविवार और सोमवार को यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को शाम 7.30 बजे महाआरती होती है जो विशेष आकर्षण का केन्द्र रहती है। श्रावण मास के अंतिम सोमवार को यहाँ सामुहिक महाभिषेक का आयोजन भी होगा। पुराणों में भी कल्पवृक्ष का उल्लेख किया गया है। इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से उत्पन्न चौदह रत्नों मे की जाती है।