नीमच। धरती पर रहने वाले सभी जीवो को जीवन जीने का अधिकार है। महावीर स्वामी ने जियो और जीने दो का अधिकार सभी को बताया है। सभी जीवो की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। सभी प्राणियों के प्राणों की रक्षा के लिए महावीर स्वामी ने अनेक उपसर्ग और कष्टों को सहन किया इसीलिए वे महावीर कहलाए। जीव दया बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है।यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, आगम मनस्वी साहित्य भूषण कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि दिवाकर संप्रदाय के महान जैन संत चौथमल जी महाराज साहब ने वर्षों पूर्व बड़ी सादड़ी के समीप भीमगढ़ क्षेत्र में अपनी जिनवाणी के माध्यम से क्षत्रिय भीम सिंह को जीव दया की प्रेरणा दी और हिंसा से शिकार करने को पाप बताया था तब भीम सिंह ने उदयपुर महाराणा फतेह सिंह को भी शिकार करने के लिए मना कर दिया था और जीव दया की प्रेरणा का संदेश दिया था।तब उदयपुर दरबार फतेह सिंह जी ने भीम सिंह को सम्मानित कर जीव दया का संकल्प लिया था। जब बिना इच्छा के जिनवाणी के अमृत वचन सुनने से भी जीवन का कल्याण हो सकता है तो जो लोग इच्छा से जिनवाणी सुन रहे हैं उनका कल्याण होना तय होता है।जिनवाणी सुनने के बाद जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आना चाहिए नहीं तो जिनवाणी श्रवण करना व्यर्थ हो जाता है।संतों की वाणी श्रवण करने से पाप कर्मों का नाश होता है।इसीलिए संसार में रहते हुए साधु संत और गुरु का संदेश का महत्व आदर्श प्रेरणादाई होता है।
धर्म सभा में चंद्रेश मुनि महाराज साहब ने कहा कि परमात्मा का सानिध्य प्राप्त कर मनुष्य व्यसन मुक्त हो जाता है। चोर चोरी की वृत्ति को छोड़ देता है।जैन तीर्थंकर की वाणी श्रवण कर पापी भी अपने पाप से मुक्त होकर जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन कर सकता है। साधारण मनुष्य संस्कारों से अपने जीवन में जीव दया का पालन कर सकता है और अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है। साधु संतों की चरित्र आत्मा मनुष्य की आत्मा को पुण्य परमार्थ का मार्ग दिखाती है जिससे उनके जीवन का कल्याण हो सकता है जीवन जीने के लिए महापुरुषों का सानिध्य अमृत औषधि का कार्य करती है ।यह औषधि मनुष्य की रोगी आत्मा को निरोगी बना देती है।
साध्वी डॉ विजय सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि गुरु बड़े उपकारी होते हैं उनके मार्गदर्शन से जीवन का कल्याण हो सकता है। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा.एवं साध्वी विजय श्री जी म. सा. का सानिध्य मिला।इस अवसर पर श्री अभिजीतमुनिजी म. सा., श्री अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला।
चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर श्री संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम्म, चातुर्मास समिति संयोजक बलवंत सिंह मेहता, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा ,साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला परमार आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। इंदौर रतलाम, जावद जीरन, चित्तौड़गढ़, छोटी सादड़ी निंबाहेड़ा जावरा नारायणगढ़, उदयपुर आदि क्षेत्र से समाज जन सहभागी बने और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन प्रवक्ता भंवरलाल देशलहरा ने किया।