रतलाम। प्रदेश की प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री सताक्षी गांधी ने बताया कि सम्पत्ती निर्माण के बाद उत्पन्न व्यवधान और परेशानियों के मद्देनजर उनके निदान को लेकर अब वास्तुविद सलाह की आवश्यक्ता बढ़ती जा रहीं है। इसके लिए निर्माण से पूर्व वास्तु परिकल्पना आवश्यकता पर ज़ोर दिया जा रहा हैं।
ये बात उन्होने प्रदेश के सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट और निर्माणकर्ताओं से हाल ही में इंदौर में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में उनसे चर्चा के आधार पर कही। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पंकित गोयल की शिष्या रतलाम की सताक्षी गांधी उनके निर्देशन मे प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर वास्तु वास्तु प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन शिविर का आयोजन कर चुकी है।
हाल ही में इंदौर में आयोजित शिविर मे बढ़ी संख्या मे प्रशिणार्थीयों, आर्किटेक्ट, इंजिनियर्स और भवन निर्माताओं ने भाग लिए। शिविर में वास्तुशास्त्र से संबद्ध विभिन्न विधाओं और विषयों पर चर्चा की गई। नवीन निर्माण में वास्तु कला को प्राथमिकता मिले और जो निर्मित भवन है उसमे वास्तु संबंध में प्रावधानों का समावेश की जानकारी हो, इस विषय पर समग्र प्रशिक्षण पर प्रदेश में शिविरो का आयोजन सताक्षी गांधी के संयोजन में हो रहा है।
सताक्षी गांधी के अनुसार भवन निर्माण में भारत की ये अती प्राचीन विधा सिर्फ समस्याओ के निराकरण और निवारण के लिए सिर्फ वस्तुओं के समायोजन का ध्यान रखना नहीं है, ये एक विज्ञान है जिसमे ज्योतिषशास्त्र, अंकशास्त्र, जन्मपत्री मिलान आदि का भी विशेष महत्व होता है।
सताक्षी गांधी ने बताया कि भवन निर्माण के समय सावधानी और सलाह से पूर्व नियोजित योजनानुसार यदि कार्य हो तो बहुत सी असुविधाओं और परेशानियों से बचा जा सकता हैं। अगस्त माह में रतलाम में प्रस्तावित शिविर की शीघ्र घोषणा की जाएगी। जिसका प्रमुख उद्देश्य रतलाम के लोगो में वास्तु आवश्यकता पर जागृती उत्पन्न करना है।