सबलगढ़। सिविल हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने नव प्रसूताओं को शिशुओं को दूध पिलाने का सही तरीका बताया। डॉक्टर्स ने कहा कि इससे शिशुओं का स्वास्थ्य सही रहता है, बच्चों में कुपोषण की स्थिति नहीं बनती। इस शिविर का आयोजन विश्व स्तनपान दिवस के अवसर पर किया गया।
यह कार्यक्रम सीबीएमओ डॉ. वीर सिंह खरे और सिविल सर्जन डॉ. शरद शर्मा के निर्देश पर संपन्न हुआ। शनिवार को दोपहर 12 बजे सिविल अस्पताल सबलगढ़ के पोषण पुनर्वास केंद्र में दीप प्रज्वलन कर और धात्री महिलाओं को रोली और चंदन लगाकर विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह सप्ताह वैश्विक रूप से मनाया जाता है यह अगस्त माह के पहले हफ्ते में 1 तारीख से 7 तारीख तक मनाया जाता है पूरे सप्ताह मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्तनपान के महत्व को उजागर करना एवं नवजात शिशु के पोषण व समुचित विकास को सुनिश्चित करना है। इस दौरान दुग्धपान के सही तरीके दुग्धपान के लाभ व शिशु को माता के दूध से होने वाले लाभ के विषय में भी सार्थक चर्चा की।
इस दौरान सीबीएमओ डॉ. वीर सिंह खरे, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. शरद शर्मा, डॉ. केके डंडोतिया, डॉ. रेखा रानी गोयल, एनआरसी केयरटेकर मनीष सिंह, फार्मासिस्ट लोकेंद्र कुशवाह, नर्सिंग ऑफिसर तृप्ति मेश्राम, संगीत जामोद, अंकिता श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
डॉ. वीर सिंह खरे ने इस दौरान बताया कि प्रसूता महिला को बच्चे के जन्म के 1 घंटे के भीतर शिशु को दुग्धपान अनिवार्य रूप से कराना चाहिए। छह माह तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखना चाहिए। डॉ. शरद शर्मा प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मां का दूध बच्चे का पहला आहार होता है, जो बच्चे को कई बीमारियों से सुरक्षित रखता है।
जो बच्चे ठीक से स्तनपान करते हैं, उनमें डायबिटीज और मोटापे की समस्या कम होती है। दिमागी रूप से मजबूत होते हैं, जो माताएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होता है। इसीलिए जन्म के तुरंत बाद ही स्तनपान शुरू कर देना चाहिए। मां के दूध में सभी प्रकार के पोषक तत्व एंटीबॉडीज और एंजाइम्स होते हैं। जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं, संक्रमण से दूर रखते हैं।