सरवानिया महाराज। आज मनुष्य कथाएं तो बहुत सुनते हैं लेकिन उन पर अमल नहीं करते। आज हमारी स्थिति मंदिर के उपर बेठें रहने वाले उन कबुतऱो के जैसी हो गई है जो रोजाना घंटों की आवाज सुनकर उड़ने की बजाय वहीं कान और आंखें मुंदे बेठे रहते हैं। हमारे संत महात्मा ज्ञानी पुरुष भले ही हमें कितने भी धर्म शास्त्रों का ज्ञान करा दे या सुना दे लेकिन हम इस कान से सुन उस कान में निकाल देते हे आंखें बंद कर लेते हैं। उक्त कथन सदर बाजार स्थित महावीर भवन में आचार्य श्री 1008 विजयराज जी म सा की आज्ञानुवर्तिनी परम पूज्य श्री मुक्ता श्रीजी म सा ने कही। महाराज साहब साध्वी श्री मुक्ता श्रीजी ने फरमाया कि आत्म पावर मनीपावर मसल्स पावर और पाकीट पावर से भी बड़ा होता है। आत्म बल से बड़ें बड़ें काम हो जाते है। आज हमारी संस्कृति को हमने कहा लाकर खड़ा कर दिया है। हमारे धार्मिक और सामाजिक आयोजन के भोजन रात्रि में 8 बजे शुरू हो रहे हैं। जबकि शास्त्र और धर्म तथा हमारा विज्ञान कहता है कि हमें भोजन सुर्यास्त पुर्व कर लेना चाहिए ताकि व्यक्ति को मधुमेह ब्लड प्रेशर तथा रोग मुक्त वातावरण मिल सके। हमारे गुरु पाप से घृणा करते हैं पापी से नही।
रात्रि भोजन की शपथ ने एक परिवार को डाकुओं के हाथों लुटने से बचाने के वृत्तांत को सुनाते हुए म सा ने फरमाया कि एक बार एक गांव में डाकुओं का दल लुट खसोट करने पहुंच जाता है। वहां एक बहन स्वर्ण आभूषण पहने नजर आती हैं तो डाकु ने कहा ये सोना आभूषण सब उतारों, बहन डाकुओं के सरदार से विनती करती हैं कि थोड़ी देर में सुर्यास्त होने वाला है और हमने कसम ले रखी है कि सुर्यास्त से पहले भोजन करना। इसलिए आप रुको हम भोजन करके आते हैं फिर सारे आभूषण और धन दौलत ले लेना। विनती को स्वीकार कर डाकुओं के सरदार ने सभी को भोजन करने जाने दिया। भोजन पर बैठने से पहले बहन को याद आया कि डाकुओं को भी भोजन करना है तो उसने डाकुओं के सरदार से विनती की कि आप भी सब हमारे साथ भोजन करो और फिर हमारे सब आभूषण ले लेना। डाकुओं के सरदार ने भी भोजन किया। उसके बाद जब वह अपने सभी परिजनों सहित आभूषण खोल कर देने लगी तो डाकुओं के सरदार ने लेने से मना कर दिया और कहा कि जिस घर का हमने नमक खाया हो वहा हम लुट खसोट कैसे करें। म सा ने फरमाया की इसका मोरल यह है कि एक छोटे से संकल्प रात्रि भोजन नहीं करने के त्याग ने एक परिवार को डाकुओं के हाथों लूटने से बचा लिया। इसलिए जीवन में कोई न कोई संकल्प जरूर रखें।
आपको बता दें कि यहां सदर बाजार स्थित श्री महावीर भवन पर आचार्य 1008 विजयराज जी महाराज साहब की आज्ञानुवर्तिनी परम विदुषी साध्वी श्री मुक्ता श्रीजी एवं उर्मि श्रीजी एवं महिमा श्रीजी महाराज साहब आदि साध्वी मण्डल थाणा तीन चातुर्मासकाल के लिए विराजमान है। चातुर्मास काल के अंदर आने वाले पर्युषण पर्व का आज पांचवा दिवस था। इस दौरान यहां धर्म की गंगा बह रही है तप तपस्या का दौर चल रहा है। अखंड नवकार मंत्र जाप का वाचन किया जा रहा है।