नीमच। बेटी के व्यवहार में, संस्कार में और वाणी में मां बोलती है। बेटी मां का प्रतिबिंब होती है। मां हमारी सबसे बड़ी मित्र होती है मां रचनाधर्मी होती है। दीदी मां साध्वी ऋतंभरा जी ने यह बात सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में मां बेटी सम्मेलन के कार्यक्रम में अपने पाथेय में कही।
पूज्य साध्वी ऋतंभरा जी ने कहा कि वर्तमान शिक्षा की व्यवस्था विचित्र है। जिसकी वजह से हममें अपने मां-बाप से बड़े होने का अभिमान पैदा हो जाता है। उन्होंने बच्चों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि मां पिता के चरण छूने से चारों धाम की यात्रा पूरी हो जाती है। ब्रह्मांड की शक्ति को मां पिता में देखा जा सकता है। मां की वाणी धर्म की वाणी होती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती शिशु विद्या मंदिर की छात्राओं द्वारा मां बेटी नृत्य नाटिका पर भावनात्मक प्रस्तुति दी गई। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के प्रबंधन समिति के सदस्यों और वरिष्ठ समाजसेवियों द्वारा दीदी मां साध्वी ऋतंभरा जी का पुष्पमाला, पगड़ी, शाल ओढ़ाकर और मोमेंटो भेंट कर स्वागत अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर साध्वी दीदी सत्य प्रिया जी, प्रहलादराय गर्ग, धर्मेंद्र मौर्य, पंकज पंवार, मनोहर सिंह लोढ़ा, राकेश पप्पू जैन, वीरेंद्र पाटीदार,महेंद्र भटनागर, मीना जायसवाल, प्राचार्य कविता जिंदल, हेमंत हरित, महेश गदले, निलेश पाटीदार, रानू अटल, अनिल जैन, स्वप्निल वधवा, संभ्रांत नागरिक,विद्यालय की छात्र-छात्राएं और स्टाफ मौजूद रहा। सम्मेलन का संचालन प्रतिभा शर्मा ने किया।