चित्तौड़गढ़। गाँधीनगर स्थित एक परिवार ने गोसेवा का अनुकरणीय कार्य करते हुए न केवल गो संवर्द्धन का संदेश दिया बल्कि आज के दौर में जीवदया और प्रेम का अनूठा उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। चित्तौड़गढ़ शहर में गुरुवार शाम गौरी का जन्मदिन गुरुवार को संतो के सानिध्य में अनूठे ढंग से मनाया गया। इस आयोजन में ज्योतिषाचार्य श्री पूज्य अलंकृत विनोदचंद्र यति, रामद्वारा चित्तौड़गढ़ के संत रमताराम महाराज व दिग्विजय राम महाराज का सानिध्य मिला। संतों ने गौरी की पूजा की इसे लापसी खिलाई। यहां संतों ने आशीर्वचन दिया और गोवंश का महत्व समझाया। गोशाला में विशेष सजावट की गई। गौरी को नए वस्त्र पहनाए गए। चांदी का कंदौरा पहनाया और चारों पैरों में चांदी की पायल पहनाई गई।
जानकारी अनुसार शहर के गांधीनगर निवासी आशीष कुमार नारायणीवाल गांधीनगर स्थित नगर परिषद की गौशाला से एक गाय की बछड़ी को घर लेकर आए। इसी बछड़ी गौरी का पहला जन्मदिन मनाया। आज ही के दिन गौरी का जन्म हुआ था और बाद में गोरी को अपने घर लाकर छोटे बच्चों की तरह लालन-पालन किया। इसे परिवार के सदस्य की तरह से रखा। गाय की बछड़ी गौरी का यूं परिवार के सदस्यों के बीच घर में रहना सभी में कोतूहल का विषय रहा। गत वर्ष 12 अक्टूबर को इसका जन्म हुआ था, ऐसे में आज गुरुवार को इसका जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। जन्मदिन के अवसर पर गांधीनगर स्थित गौशाला जहां उसका जन्म हुआ वहां गुब्बारों से विशेष सजावट की गई। गौरी को स्नान करवा कर नई ड्रेस पहनाई गई। वहीं इस जन्मदिन को मनाने के लिए सैकड़ो लोगों को निमंत्रण दिया गया। यहां गौशाला में मौजूद गोवंश के लिए 151 किलो की लापसी बनाई गई और गुड भी खिलाया गया। वहीं गोवंश के लिए इस परिवार की पहल की सभी ने सराहना की। संतों ने सभी से गोवंश का इसी तरह से लालन पालन करने का आग्रह किया। परिवार के सदस्यों ने संतों का माला पहना कर स्वागत किया और आरती उतारी। गौरी के जन्मोत्सव पर आशीष नारायणीवाल की ओर से 600 ग्राम चांदी का कंदौरा और पायल पहनाए गए थे। वहीं इस उपलक्ष में करीब 400 लोगों को भोजन करवाया। यहां हुवे कार्यक्रम का संचालन मुकेश नाहटा ने किया।
बताया गया कि एक साल पूर्व गांधीगर गोशाला में एक घायल गाय आई थी, जो गर्भवती थी। इसी दिन गाय ने एक बछड़ी को जन्म दिया था। गाय की स्थिति ऐसी नहीं थी की वह बछड़ी को दूध पिला सके। रोज की तरह गोशाला में आए आशीष को इसकी जानकारी मिली तो वह बछड़ी को घर ले आया। इसके दो दिन बाद ही घायल गाय ने दम तोड़ दिया। गौरी को आशीष और इसके परिवार ने बच्चे की तरह लालन पालन किया। आज जन्म को एक साल होने पर जन्मदिन मनाया और लोगों को भी भोजन करवाया।
आशीष ने बताया कि गौरी उनके परिवार की सदस्य है। सभी सदस्यों की तरह यह घर में रहती है। परिवार के सदस्य बाहर जाते हैं तो इसे भी साथ के जाते हैं। इसे श्री सांवलियाजी, गढबोर चारभुजाजी, दुर्ग स्थित कालिका माता, कोटड़ी श्याम आदि स्थानों पर दर्शन के लिए ले गए।