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August 23, 2025, 4:59 pm
KHABAR : राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव को भेजा नोटिस, पूर्व मंत्री के भतीजे मामले में कार्रवाई नहीं करने का मामला, पढे़ खबर 

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भोपाल। मध्यप्रदेश के सागर जिले में अवैध खनन से मासूम को करंट लगने के मामले में मुख्य सचिव को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने नोटिस जारी किया है। मुख्य सचिव को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।


पांच महीने तक टालमटोल एफआईआर ही दर्ज नहीं
दरअसल सागर के 14 साल के मानस शुक्ला को करंट लगने के मामले में नोटिस जारी हुआ है। हाई-टेंशन बिजली के तार से मानस को करंट लगने से उसे एक हाथ गंवाना पड़ा। परिजनों का आरोप है कि विधायक भूपेंद्र सिंह ठाकुर और उनके भांजे लखन सिंह ठाकुर द्वारा खनन किया जा रहा था। घटना के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं करने पर पुलिस और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। शिकायकर्ता को झूठे केस में फंसाने और जान से मारने की कोशिश और धमकी देने का भी आरोप है। आयोग की जांच में खुलासा हुआ पुलिस और प्रशासन ने पांच महीने तक टालमटोल किया, एफआईआर  ही दर्ज नहीं हुई।


मामला सत्ता के दुरुपयोग और भरोसे से खिलवाड़ का
मानवा अधिकार आयोग ने सरकार से पूछा, एफआईआर दर्ज करने और कार्रवाई रोकने की वजह बताएं। आयोग ने पूछा मानस शुक्ला के परिवार को 10 लाख का मुआवज़ा क्यों न दिया जाए। 23 अगस्त तक सरकार से जवाब तलब वरना सख़्त कार्रवाई की चेतवानी दी गई है। आयोग ने कहा यह मामला सत्ता के दुरुपयोग और जनता के भरोसे से खिलवाड़ का है। आयोग ने यह भी ध्यानाकर्षित किया है कि खुरई के विधायक भूपेंद्र सिंह ने झूठे आरोपों वाले पत्र भेज कर आयोग की कार्यवाही को प्रभावित करने का प्रयास किया।


डीजीपी को एफआईआर दर्ज करेने के निर्देश
आयोग ने नोटिस में कहा- आयोग के विचार में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, सागर द्वारा यह दलील कि शिकायतकर्ता ने कोई शिकायत प्रस्तुत नहीं की, असमर्थनीय है। इस मामले में एफआईआर का पंजीयन इसलिए भी आवश्यक है ताकि बालक संबंधित विभाग से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सके। क्रशर मालिक के खिलाफ किसी वैधानिक दंडात्मक कार्रवाई का कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। यह प्रशासनिक एवं पुलिसीय दायित्वों में गंभीर चूक है।


कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा
घटना स्थल का कोई आधिकारिक निरीक्षण उसी दिन नहीं किया गया, जिससे कारणों का आकलन, साक्ष्यों का संरक्षण और दोबारा ऐसी घटना रोकने के लिये कदम उठाए जा सकते थे। आयोग ने कहा है कि मध्यप्रदेश शासन कारण बताए कि आखिर वह क्यों न भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और लोक शिकायत एंव पेंशन मंत्रालय को यह अनुशंसा करे कि सागर कलेक्टर पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्होंने कानून के अनुसार जरूरी कार्रवाई नहीं की है।

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