भोपाल। हाट मैदान में शनिवार को दो दिवसीय आजीविका फ्रेश मेले की शुरुआत हुई। यह शहर का पहला केमिकल फ्री उत्पादों वाला मेला है, जिसमें रसायन मुक्त अनाज, सब्जियां, फल, जैविक खाद मिलेट्स से बने सामानों की दुकानें लगाई गई हैं। मेले में पहले दिन पंचायत व ग्रामीण विकास राज्यमंत्री राधा सिंह ने दुकानदारों से बात की।
प्रदेश के 55 जिलों से आई आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने इस मेले में अपने स्टॉल्स लगाए हैं। मेले में 50 से अधिक केमिकल फ्री उत्पाद मिल रहे हैं। मेले का समय सुबह 11 बजे से रात 9ः30 बजे तक रखा गया है।
मार्केट से सस्ती ऑर्गेनिक सब्जी
मेले के एंट्री गेट पर मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमा लगाई गई है। लोग ऑर्गेनिक खाद से उगाई सब्जियों के स्टॉल को देखने आ रहे हैं। टीकमगढ़ से आई रोशनी तिवारी ने कहा, उन्होंने ऑर्गेनिक खाद से उगाई गई सब्जी, जिसमें अरबी, बैंगन, प्याज, लहसुन बेच रही हैं। उन्होंने कहा कि जहां बाजार में केमिकल युक्त प्याज 20 रुपए किलो मिल रही है, वहीं हमारी प्याज थोड़ी महंगी है। लेकिन केमिकल फ्री है।
फसलों में केमिकल छिड़काव नहीं करते
राजगढ़ से आईं सोनम राठौर बताती हैं कि हमनें जिले में ’जहर मुक्त खेती’ का अभियान चलाया है। हमारी फसलों पर कीट लग जाते हैं, तो हम उनपर केमिकल का छिड़काव नहीं करते। नीम की पत्तियों में गौमूत्र मिलाकर बनाए जा रहे प्राकृतिक ’नीमास्त्र’ का उपयोग करते हैं। खेतों में बड़वानी के नींबू भी उगाए हैं, जिसकी कीमत 10 रुपए प्रति नग है।
कोदो-कुटकी के लड्डू खरीद रहे लोग
सिंगरौली से आई सत्य कुमारी जायसवाल ने बताया कि, वे प्रदेश का सबसे बड़ा मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट चलाती हैं। उनके स्टॉल पर कोदो-कुटकी-सांवां से बने आइटम हैं, जिसमें सांवां और कोदो के लड्डू अधिक खरीदे जा रहे हैं। 500 ग्राम लड्डू की कीमत 349 रुपए है। इसके अलावा स्टॉल पर गाय और भैंस के दूध से बना शुद्ध देसी घी भी बेचा जा रहा है। बाजार में घी 800-1000 रुपए प्रति किलो मिल रहा है, वहीं सत्य कुमारी इसे 1300 रुपए प्रति किलो बेच रही हैं। घी मार्केट में मिलने वाले घी से कहीं ज्यादा शुद्ध है।
10 रुपए में मिल रही हर्बल टी
सीहोर के राज कुमार ने बताया कि वे शहर के लोगों को हर्बल टी बनाकर पिलाते हैं। इस चाय को बनाने में लेमन ग्रास, मोरिंगा की पत्तियों, गुड़हल के फूल, सौंफ, इलायची, शहद, नींबू और दालचीनी का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि वे पहली बार मेले में आए हैं और उनकी बिक्री बहुत अच्छी हो रही है। 10 रुपए की हर्बल टी सभी को पसंद आ रही है।
दाल-बाटी-चूरमा और बेड़ई का लुत्फ उठा रहे
मेले में फूड-जोन भी बनाया गया है। जहां लोग सीहोर का दाल-बाटी-चूरमा, मुरैना की बेड़ई-आलू की सब्जी, रबड़ी-जलेबी, भुट्टे का कीस, मंगोड़े खाते नजर आए। ये सभी फूड आइटम आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने बनाए हैं।
राज्यमंत्री बोलीं- घरों-गांवों से बाहर निकल रही महिलाएं
मेले में शामिल राज्यमंत्री राधा सिंह ने कहा कि मेले से हमारी बहनों को बाहर निकलने का मौका मिला। हमारी बहने अपने घरों-गांवों से बाहर निकल रही, यही बदलाव है। इसमें से कई महिलाएं पहली बार भोपाल आईं हैं।
साल भर मेले का इंतजार; जमकर खरीदारी
शहर की रहने वाली जया ने आजीविका मेले से काफी सामान खरीदा। जया ने कहा कि वे साल भर इस मेले का इंतजार करती हैं। मेले से जया ने तुअर दाल, हल्दी और घी खरीदा। इसी तरह धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि आजीविका हाट से सामान खरीद कर आप जहां अपने परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं, वहीं ग्रामीण अंचलों से आने वाली महिलाओं के प्रयास को बढ़ावा भी देते हैं।
गोंड कलाकृतियां, जरी का महीन काम आकर्षण बना
मेले के मुख्य द्वार के पास ही स्टॉल लगाकर बैठीं रीता श्याम गोंड कलाकृतियों से सजे सामान बेच रहीं थीं। रीता ने डायरी, पर्स, प्लेट, लैपटॉप बैग पर अपने हाथों से सुंदर कलाकृतियां बनाईं हैं। ये सभी समान शीशम की लकड़ी से बनाए गए हैं। पेंटिंग पूरी तरह वॉशेबल है। उनके स्टॉल ने राज्य मंत्री राधा सिंह का ध्यान भी अपनी ओर खींचा। मंत्री ने स्टॉल पर आकर अपने हाथों से पेंटिंग भी बनाई। उसी के सामने आजीविका मिशन से जुड़ी एक महिला लकड़ी के खाट पर बड़ी बारीकी से जरी का काम करती दिखाई दीं।