नीमच। आत्मा को पवित्र करें बिना मोक्ष नहीं मिलता है। भाव यात्रा आत्मा को पवित्र करती है। भाव यात्रा तीर्थ यात्रा का परिचायक है। भाव यात्रा से संसार के कष्टों का संहार होता है। प्रेम करुणा के द्वार से मिलते हैं परमात्मा हृदय पूर्वक जीवन जीना इंसानियत है। धर्म तपस्या ह्रदय है उसका उत्पत्ति स्थल शत्रुंजय तीर्थ है। यह बात साध्वी प्रगुणा श्रीजी मसा की शिष्या साध्वी सत्कार निधि मसा ने कही। वे महावीर जिनालय विकास नगर श्री संघ के तत्वावधान में चातुर्मास के मध्य आयोजित धर्मसभा में बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि दया से अभिभूत मानवता इंसानियत कहलाती है सारा जहां प्रेम मन से आगे बढ़ता है। हमें मन से प्रेम कर सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए। यात्रा प्रेम के साथ जीवन जीने का संदेश देती है। भाव यात्रा के माध्यम से शत्रुंजय तीर्थ पर स्थापित तीर्थंकरों के दर्शन का उल्लेख कर दर्शन का अनुभूति कराई। साध्वी मसा ने शत्रुंजय तीर्थ के भाव यात्रा में सिद्धांचल कांवड यक्ष, पालीताना भाव यात्रा आदिनाथ रायन वृक्ष सिमंदर देव प्रभु, पुंडरीक स्वामी आदि का विस्तार से वर्णन प्रस्तुत किया। धर्मसभा में सुनीता कोठारी सीमा कोठारी प्रशस्ति कोठारी कल्पना ने भाव यात्रा से संबंधित गीत प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर संपत लाल पटवा, मनोहर सिंह लोढा, अखेसिंह कोठारी, प्रेम प्रकाश जैन सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर नरेंद्र श्रीपाल संजय कोठारी परिवार द्वारा महावीर जिनालय विकासनगर श्री संघ के पदाधिकारियों उपाध्यक्ष राजमल छाजेड़, सचिव राजेंद्र बंबोरिया कोषाध्यक्ष केसरीमल लोढ़ा, आशीष सुराणा विमल गोपावत, राहुल जैन का सम्मान किया गया। धर्मसभा में साध्वी, प्रमोदिता श्रीजी, प्रशम निधि, संस्कार निधि मसा का मार्गदर्शन भी मिला।