नीमच। जिस परिवार में प्रेम रहता है वहां सुख शांति होती है। धेर्य का धन कभी चोरी नहीं होता है। यह सदैव अपने स्थान पर रहता है। परिवार में समर्पणऔर त्याग का भाव होता है तो वहां एकता रहती है।
यह बात गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय श्री ऋषभ चंद्र सुरीश्वर जी मसा के शिष्य रत्न वरिष्ठ मुनिराज पियुष चंद्र विजय मुनि महाराज ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ नीमच के तत्वावधान में मिडिल स्कूल मैदान के पास जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि परेशानी में सभी साथ छोड़ देते हैं। अच्छे समय में सभी साथ रहते हैं जो बुरे समय में साथ दें वही सच्चा सहयोगी होता है।हमेशा किसी भी व्यक्ति के सामाजिक मांगलिक कार्यक्रम हो तो रुकावट नहीं बने सहयोगी बनना चाहिए तभी परिवार और समाज में एकता स्थापित होती है।
इस अवसर पर जनक चंद्र विजय जी महाराज ने कहा कि सांसारिक जीवन में मनुष्य यदि हंसते हंसते कर्म बांधता है तो रोते-रोते भी कर्म नहीं कटते हैं। पाप कर्म के बंधन के बाद सत्ता की बाजी कर्म सत्ता के हाथ में रहती है फिर दूख का आपत्ति आते हैं तो हमें उदास नहीं होना चाहिए जो भी हो रहा है उसे घबराए नहीं उसका मुकाबला धैर्य पूर्वक करना चाहिए। राजा हरिश्चंद्र को भी सत्य की रक्षा के लिए परिवार के सामने भी परीक्षा देनी पड़ी थी लेकिन सत्य को छोड़ा नहीं। पाप कर्म उग्र तपस्या से भी नहीं मिटते है। निकाचित कर्म का फल तो हमें भोगना ही पड़ता है महावीर स्वामी स्वयं भी से नहीं बच पाए थे।उन्होंने भी कान में किसी के शीशे डाले थे तो उनके कान में भी किले लगे थे। जैन दर्शन कर्म प्रधान है ।मैयना सुंदरी का विवाह कुष्ठ रोगी श्रीपाल के साथ हुआ था यह उनके पूर्व जन्म का कर्म का ही फल था।
महावीर ने कर्मों से युद्ध कर विजय प्राप्त की थी और हमें भी पुण्य कर्म कर मोक्ष जा सकते हैं और कर्मों को जीतकर मोक्ष की राह को प्राप्त कर सकते हैं पाप कर्म से सदैव बचना चाहिए तभी आत्मा कल्याण हो सकता है किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए तभी जीवन जीना सफल होता है।सत्य कभी छुपता नहीं है वह सामने आकर ही रहता है।धर्म तपस्या की सफलता में कई बाधा आती हैं उसे नजरअंदाज कर देना चाहिए और धर्म क्षेत्र में आगे बढ़ते रहना चाहिए तभी धर्म के माध्यम से आत्मा का कल्याण हो सकता है।हम धर्म का पालन निष्ठा पूर्वक करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। कठिन समय में भी धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए हम धर्म का पालन नियम से करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। विश्वास के साथ धर्म का पालन करना चाहिए।
जीवन में दुख सुख आते रहते हैं। मनुष्य जब सफलता की ओर आगे बढ़ता है इसलिए आत्मविश्वास मजबूत रहना चाहिए। जीवन की प्रगति में गति अवरोधक आते हैं लेकिन जीवन की सच्चाई को हमें समझना होगा धर्म-कर्म का पालन करेंगे तभी जीवन आगे बढ़ेगा।मुनि श्री ने चंदनबाला राजकुमारी आनंद जी महाराज मैना सुंदरी श्रीपाल चरित्र कर्म सत्ता ,सम्यकदर्शन, सत्य, राजगिरी नगरी, कुसुम पाल राजा, , धन्य कुमार ,अभय कुमार, चंड प्रत्योदयन, बिंदुसार, महाराजा,, क्रोध , आदि विषयों का वर्तमान परिपेक्ष में महत्व प्रतिपादित किया।