एमपी और राजस्थान में यह साल चुनाव का साल है एमपी में बीजेपी की सरकार है जो ऑपरेशन लोटस के तहत बनी और राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है और ये दोनों ही राज्य अफीम उत्पादक है आम चुनाव के पहले इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी को सरकार में आना है ताकि 2024 के चुनाव में इसका फायदा उसे मिल सके और उसका मोराल हाई रहे।
जानकार बताते है कि दोनों ही राज्यों में बीजेपी को सत्ता में आने के लिए जमकर पसीना बहाना पड़ेगा क्योकि कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस से बीजेपी की जो सरकार बनी थी वो इस विधानसभा चुनाव में ताश के पत्तो की तरह ढह गयी। कुछ इसी तरह की सरकार एमपी में है, जिसको लेकर दिल्ली के पास जो फीड बैक है वह अच्छा नहीं है। ऐसे में एमपी में बीजेपी के लिए राजस्थान से ज़्यादा ज़ोरआज़माइश है। वहीं राजस्थान में भले कांग्रेस सत्ता में हो, लेकिन सीएम अशोक गेहलोत खूब मेहनत में लगे है।
इन्ही सब बातो के मद्देनज़र दिल्ली इस तैयारी में है कि जमीन पर सरकार लाने के लिए वो सारे दांव आज़माये जाए जो ज़रूरी हो, यदि अफीम उत्पादक मालवा और मेवाड़ अंचल की बात करे तो यहाँ सारा खेल अफीम के पट्टो का है जो सरकार अफीम किसानो को राहत देती है किसान पूरी तरह उसके पीछे लामबंद हो जाता है। लेकिन राहत देने के लिए सरकार को सेफ स्पेस भी चाहिए और वो तैयार किया है केंद्र सरकार के दो आईआरएस अफसरों ने वे है डीएनसी डॉ संजय कुमार और जनरल मैनेजर अफीम फैक्ट्री डॉ नरेश बुन्देल इन दोनों ही अफसरों ने ऐसी जमीन तैयार की है जिस पर केंद्र की बीजेपी सरकार जमकर वोटो की खेती कर सके।
जब से ये दोनों अफसर एमपी में आये है तब से अफीम की खेती में चार चाँद लग गए, एक तरफ जहा आईआरएस संजय कुमार ने ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करते हुए अफीम का पट्टा वितरण, अफीम के खेत की नपाई, अफीम तौल जैसे कामो को बिल्कुल करप्शन से मुक्त कर दिया वहीं संजय कुमार ने अपनी निवारक कार्रवाहियो से यह साबित कर दिया की तस्करी मालवा-मेवाड़ के अफीम उत्पादक किसान नहीं वरन नार्थ-ईस्ट में होने वाली अफीम की अवैध खेती से होती है और उलटा वहा से अवैध अफीम यहाँ लायी जाती है जिन पर यहाँ का मार्का लगता है ताकि बिकने में आसानी हो उनके इस कदम से मालवा-मेवाड़ के अफीम किसान पाक साफ़ साबित हो गए और दिल्ली में अफीम किसानो की इज़्ज़त भी बड़ी। वहीं आईआरएस नरेश बुन्देल की बात की जाए तो उन्होंने फैक्ट्री में आकर यहां मौजूद पुराना अफीम का स्टॉक खत्म कर दिया और पिछली दो बार से मार्फिन पर्सेंटेज की जांच और अफीम के भुकतान की पूरी प्रोसेस को एक दम पारदर्शी और करप्शन मुक्त कर दिया।
इन दोनों ही अफसरों की इस मेहनत के बाद अब मालवा-मेवाड़ में नए अफीम के नए पट्टे जारी करने का रास्ता तैयार हो गया चूँकि यह चुनावी साल है तो ऐसे में माना ये जा रहा है की केंद्र की बीजेपी सरकार मालवा-मेवाड़ में करीब 15 हज़ार अफीम के नए पट्टे जारी कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि आधिकारिक स्तर पर भी इसको लेकर काफी तैयारियां चल रही है वैसे इस साल केंद्र सरकार डोडो से मॉर्फिन की प्रोसेसिंग का नया प्लांट भी निजी सेक्टर में शुरू करने जा रही है जो नीमच से 75 किलोमीटर के रेडियस में लगेगा जिसकी संभावना यह है की मल्हारगढ़-मंदसौर के बीच कोई निजी कम्पनी इस प्लांट का काम करेगी। कुल मिलाकर सरकार के स्तर पर चुनावों के मद्देनज़र अफीम किसानो के हक़ में फैसले लेने की पूरी तैयारी दिखाई दे रही है, अब ये 15 हज़ार पट्टे लुईनी-चीरनी में होंगे या फिर सीपीएस में अभी इसका खुलासा होना बाकी है। वैसे केंद्र सरकार के कानो तक यह खबर भी पहुंची है कि परम्परागत अफीम की खेती ही किसान करना चाहते है ऐसे में लगता है चुनावी वर्ष की नयी अफीम पॉलिसी में अफीम किसान के बल्ले बल्ले हो सकते है।