एमपी की भाजपाई सियासत में सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है, ये बात मै नहीं खबरों से भरा डिजिटल मीडिया बता रहा है और इन खबरों के केंद्र बिंदु में दो शख्शियतें है एक ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे वीडी शर्मा दोनों ही पर सिलसिलेवार बातचीत करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे की आखिर विधानसभा चुनाव के पहले इन पर निशाना क्यों लगाया जा रहा है क्या ये सोची समझी रणनीति है या फिर अटकल पंजे मे ये सब कुछ हो रहा है लेकिन फिर सवाल यह भी उठता है की पार्टी विथ द डिफ़रेंस की बात करने वाली बीजेपी मे ये अटकल पंजा संभव है क्या
बात यदि वीडी शर्मा की करे तो एमपी बीजेपी मे हर तरफ उनके विरोधी खड़े दिखाई देते है जिसमे से अधिकाँश परदे मे दिखते है और लगता है जैसे उन पर सुनियोजित तरीके से वार किया जा रहा है, ताकि धीरे धीरे वीडी को कमजोर कर के उनकी एमपी से विदाई की जाए जिसके लिए वो सभी दांव आजमाए जा रहे है जो राजनीति मे अक्सर काम मे लिए जाते है बताते है दिल्ली तक वीडी से जुड़े मामलो की फाइलें भेजी गयी है जिसमे कई गंभीर मामले है वही घात प्रतिघात के लिए डिजिटल माध्यम का भी जमकर उपयोग किया जा रहा है जैसे हाल ही मे खबर उडी की वीडी भाई को चलता कर दिया गया है और प्रह्लाद पटेल को नया प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया है जबकि यह खबर कोरी गप्प ही निकली जबकि दर्जनों लोगो ने सोश्यल मीडिया पर प्रह्लाद पटेल को बधाई तक दे दी सवाल यह उठ रहा है की अनुशासित पार्टी मे यह सब किसके इशारे पर चल रहा है, या फिर कुछ समय से वीडी समर्थक जो कह रहे थे की अगले सीएम वीडी बॉस होंगे उसका परिणाम तो नहीं की वीडी को निपटाया जाए
अब यदि सिंधिया की बात करे तो हाल ही मे सिंधिया के खिलाफ बीजेपी मे ही आवाज़े तेज हो गयी है पहले सांसद केपी यादव ने जमकर सिंधिया को घेरा तो फिर सागर से भाजपा सांसद राजबहादुर सिंह ने मोर्चा खोलते हुए कहा की कांग्रेस से आये लोगो के कारण पार्टी मे स्थितियां बिगड़ रही है वही एक बात और सामने आयी की सरकार मे जो सिंधिया समर्थक मंत्री है वे किसी भी सूरत मे जीत नहीं रहे क्योकि उन पर करप्शन के कई आरोप है ऐसे मे उनको वापस चुनाव लड़ाना बीजेपी को महँगा पड़ सकता है
अब सवाल यह उठता है की जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आते जा रहे है सिंधिया को घेरने के लिए उतने ही पैंतरे चले जा रहे है जबकि सिंधिया ने तो प्रदेश मे बीजेपी को सत्ता दिलाई तो कही ये सोची समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं की चुनाव के एन पहले सिंधिया को डैमेज किया जाए क्योकि प्रदेश मे यह कहा जा रहा था की आने वाले विधानसभा चुनाव मे सिंधिया बीजेपी का चेहरा होंगे कही अब भाजपा ही की कोई ताकत सिंधिया को ठिकाने लगाने मे तो नहीं लगी है ताकि सिंधिया चेहरा न बन पाए
कुलमिलाकर बीजेपी को लेकर एक मुहावरा आम है वह यह की शिवराज भजपा, महाराज भाजपा और नाराज भाजपा ऐसे मे आने वाले दिनों मे पार्टी की क्या तस्वीर उभरती है यह देखने वाली बात होगी