नीमच। मध्यप्रदेश शासन के आदेशानुसार नीमच नगरपालिका में तीन दिवसीय गौरव दिवस 1 से 3 जून तक मनाना है। इसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। परन्तु इन कार्यक्रमों में भाजपा समर्थित व्यक्तियों को बुलाकर कार्यक्रमों में अतिथि बनाकर गौरव दिवस को भाजपा का चुनावी एजेण्डा बना दिया गया है।
उक्त आरोप नीमच कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से लगाए। चौरसिया ने कहा कि नीमच नगर से 1857 की क्रांन्ति की मशाल जली थी। यहां के क्रांतिकारियों को नीमच सिटी के बड़ के पेड पर फांसी दी गई थी। 1857 की पहली गोली चलाने वाला मोहम्मद अली बेग था। महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने वाले नथमल चौरडिया, महिला शक्ति में फूलकुंवर बाई चौरडिया, रमेश्वरी देवी यादव प्रमुख हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी धनीराम सगर, मूलचंद अग्रवाल, शिवदयाल महाशय, शोभाराम गुप्ता, चिरंजीलाल चौरडिया, रामेश्वर गर्ग के परिवारों का सम्मान न करके अपनी अकर्मण्यता का परिचय दिया है।
चौरसिया ने बताया कि नीमच नगर के वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व संविधान सभा के सदस्य सीताराम जाजू की उपेक्षा करना क्या दर्शाता है ? इसी कडी में पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन, गोमाबाई नेत्रालय के जी.डी.अग्रवाल, बीबीसी लन्दन के पूर्व उद्घोषक रत्नाकर भारतीय, पद्मभूषण सी.एस.राणावत, पंडित शिवनारायण गौड, व्यंग्यकार शरद जोशी, संदीप राशिनकर को नीमच नगरपालिका द्वारा विस्मृत करना हास्यास्पद है। क्या यही नीमच की गौरव गाथा है ?
चौरसिया ने बताया कि देष के राष्ट्रीय कवि, गीतकार, साहित्यकार, सांसद, मंत्री जिन्होंने नीमच को भारत के नक्षे पर चमकाया आदरणीय बालकवि बैरागी उनको भी भुला दिया। महज इसलिये कि यह आजादी के दीवाने कांग्रेसी विचारधारा के थे। जबकि भाजपा का एक भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं है। गौरव दिवस तो इन वीरों की याद में मनना था, जबकि यह तो भाजपा का गौरव दिवस बनकर रह गया।
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