डेस्क। आगामी कुछ महीनों में देश के प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राजनीति की दृष्टि से ये तीनों राज्य अपने आप में एक बड़ा बजूद रखते हैं। क्योंकि इन्हीं राज्यों से दिल्ली का रास्ता भी तय होगा। ये तीनों राज्य है मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़।
5 साल पहले हुए चुनाव में भाजपा को ये तीनों राज्य अपने हाथों से गंवाना पड़े थे वो भी उस समय जब मोदी ने 2014 के आम चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। खेर इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने फिर से मोदी के चेहरे पर इन तीनों राज्यों में प्रचंड जीत दर्ज की। एमपी में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे उम्मीदवार को हार का सामना देखना पड़ा। इसके बाद एमपी में सिंधिया की बगावत के बाद फिर से भाजपा की सरकार बन गई और कांग्रेस महज 15 महीने ही राज कर पाई। लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अभी भी कांग्रेस की सरकार है।
अब बात करें कर्नाटक चुनाव की तो यहां कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत मिली है। जिसके तहत वो कर्नाटक में जीत का फार्मूला अब आगामी इन तीनों राज्यों के विधान सभा चुनाव में लागू कर रही है। वहीं बात करें भाजपा की तो 2014 के बाद देश में जितने भी चुनाव हुए हैं सब मोदी के चेहरे को आगे रखकर लड़े गए हैं। मोदी ने भी चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं रखी और ताबड़तोड़ रैलियां और आमसभाएं की। जिसका परिणाम सबके सामने है। मोदी मॉडल पूरे देश में जादू की तरह चल गया।
कर्नाटक चुनाव में भाजपा का ये मोदी चेहरा जनता ने नकार दिया। जिसके बाद राष्ट्रीय बीजेपी भी सकते में आ गई। अब आगामी विधानसभा चुनाव में मोदी की छवि को नुकसान न पहुंचे इसका भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। अब स्थानीय स्तर पर भाजपा चुनाव लड़ने का सोच रही है। जिसका ताज़ा उदाहरण है कि कांग्रेस से राष्ट्रीय स्तर की नेता प्रियंका गाँधी 12 जून को जबलपुर से चुनावी संग्राम का बिगुल फूंकने जा रही है। वहीं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे प्रदेश के बड़े नेता लगातार चुनावी रणनीति के तहत कार्य कर रहे हैं।
भाजपा में प्रदेश से केवल सीएम शिवराज अपनी प्रशासनिक फौज के साथ इस समर में अकेले खड़े दिखाई देते हैं। भाजपा के बाकी नेताओं को लगता है कि वो मोदी मैजिक के चलते आराम से ये चुनाव जीत जाएंगे। कांग्रेस का इन तीनों प्रदेशों में सीधा मुकाबला भाजपा से है। यहां कोई तीसरा दल इतना प्रभावी नहीं है जो कांग्रेस के वोट काट सके। वहीं कांग्रेस की जीत से दिल्ली की राह जरूर सुगम हो सकती है।