मोरवन। बड़े मंदिर प्रांगण मोरवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्री झाड़ीश्वर धाम सरकार वृंदावन से पधारे श्री विष्णु शरण जी महाराज ने मीरा चरित्र सुनाते हुए कहा कि कोई भी गुण अगर उस प्रभु से जुड़ जाए तो उसमें स्वाभाविक मधुरता आ जाती है जग को अपने गुण को रिझाने से क्या मिलेगा धन, धान्य और हरि को रिझाने में तो स्वयं हरि की प्राप्ति हो जाएगी। अपने अवगुण बताने वाले हितेशियों पर क्रोध न करें सदा न्याय को महत्व दें तथा समय-समय पर प्रभु प्रेमियों के मुख से प्रभु की कथाएं भजन सुनते रहना चाहिए।
तीसरे दिन कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म मरण दोनों सुधार जाता हैं उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कार्य करने चाहिए। विष्णु शरण जी महाराज ने व्यास पीठ से भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा के दौरान जड़ भरतचरित्र, अजामिल चारिण, नृसिंह अवतार, गजेंद्र मोक्ष, वामन भगवान का चारित्र आदि प्रसंगों को बड़े ही सुंदर ढंग से वर्णन कर कहा कि भक्त प्रहलाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था जिसके सुनने मात्र से भक्त पहलाद के कई कष्ट दूर हो गए थे। ध्रुव और पहलाद ने प्रभु पर अटूट विश्वास करते हुए भक्ति का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया। दोनों ही कठोरतम दंड और याचनाओ से भी नहीं डरे और ईश्वर की आराधना करते रहे ठीक उसी प्रकार हमें भी जीवन में संकटों से नहीं डरना चाहिए भगवान पर विश्वास कर उनकी आराधना करनी चाहिए भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर पार उतर जाता है। यदि भक्त सच्चे दिल से प्रभु का स्मरण कर देते हैं तो प्रभु दौड़े चले आते हैं जैसे प्रह्लाद ने भगवान को पुकारा और भगवान दौड़े चले आए। बच्चों में अच्छे संस्कार के लिए उन्हें प्रह्लाद ध्रुव की कथा उन्हें अवश्य सुनानी चाहिए ताकि उनके अच्छे भाव और संस्कार जन्म ले सके। मां कालका की जीवंत झांकी देख श्रद्धालु भावविभोर हो गए। साथ ही जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है, माटी के पुतले एक दिन माटी में मिल जाना जैसे मधुर भजनों पर श्रद्धालु खूब थिरके। बड़े मंदिर प्रांगण पर चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन सैकड़ो की संख्या में महिलाएं पुरुष पहुंच कर कथा श्रवण का लाभ लिया।