नीमच। आज वॉइस ऑफ एमपी की टीम ने जाजूसागर डैम के डूब क्षेत्रों का दौरा किया और वस्तु स्थिति देखी। इस दौरान हमारी टीम के सामने कई चौंका देने वाले खुलासे हुए।
नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत कहे या अनदेखी, जिसके चलते जाजू सागर डैम की डूब क्षेत्र की लगभग 600 बीघा भूमि पर अवैध खेती हो रही है। 80 से अधिक मोटरों के माध्यम से बांध के पानी की चोरी आसपास के क्षेत्रों में हो रही है और रात्रि में भारी मात्रा में डैम से अवैध ढंग से मछलियां चुराई जा रही है। प्रत्येक मोटर पर प्रति घंटा, हर बार गेहूं और अन्य फसल के लिए प्रति बीघा और रात में चुराई जा रही मछलियों के लिए अवैध ढंग से बड़ी राशि लेकर गैर कानूनी गतिविधियों को संरक्षण देने का काम वर्षों से चल रहा है। हुक्मरान आंख पर पट्टी बांधे मुक दर्शक बने हुए है। गहराई में जाएंगे तो पाएंगे कि नीमच की जनता का पानी का हक मारा जा रहा है। गरीब पशुपालकों के पशुओं के लिए चारे का अभाव उत्पन्न हो गया है। राजस्व की बड़ी हानि हो रही है।
डैम के तीन-चार किलोमीटर एरिया के आसपास कालिया खेड़ी, पिपलिया गुर्जर, पावटी, बरखेड़ा, दलावदा, सौकड़ी आदि गांव में पानी चोरी और अवैध खेती का काम धड़ल्ले से चल रहा है। अंडरग्राउंड केबलें, पाइप लाइन बिछी हुई है। पानी और गड्ढों में मोटरें लगी हुई है। इन अवैध गतिविधियों का नेटवर्क इतना प्रभावशाली है कि किसी भी कार्यवाई की पूर्व सूचना इन तक करंट की तरह पहुंच जाती है। चौकीदारी और गश्त निष्प्रभावी है। डैंप की जमीन का आज तक सीमांकन नहीं हुआ। पक्के अतिक्रमण यहां हो गए। लेकिन किसी की आंख नहीं खुलती।दनदनाती मोटरों के बीच इस खेल में शामिल लोगों का नैतिक चरित्र जाजू सागर पानी के बांध मे डूबा हुआ नजर आ रहा है। शहर को 1 दिन में जितना पानी सप्लाई होता है उसका डेढ़ गुना पानी चोरी हो रहा है। जिस जमीन पर पशुओं के लिए चारा होता था वहां कब्जा करके खेती हो रही है। इन बातों पर गौर किया जाना और प्रभावी कार्रवाई होना नितांत आवश्यक है। जनता चाहती है कि यदि जिला प्रशासन को भी इसमें हस्तक्षेप करना पड़े तो करे और नीमच की जनता के लिए कारगर कदम उठाए।