नीमच। कांग्रेस ने भी अफीम उत्पादकों की इस सर्वथा वाज़िब मांग का हमेंशा समर्थन किया हैं। पटेल ने कहा कि इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय राजस्व विभाग के व्यय सेक्शन ने वरिष्ठ अधिकारी एम सी निमाडे के नेतृत्व में सभी पहलुओं का अध्ययन कर अफीम के क्रय मूल्यों के बारे में अनुशंसा के लिए एक समिति नामित की थी । निमाडे ने समिति के सदस्यों के साथ अफीम उत्पादकों , जन नेताओं , अधिकारियों , अफीम उत्पादन से जुड़े सभी पहलुओं , बाजार की स्थिति एवं लागत व्यय , उत्पादन लागत वृद्धि तथा डोडा चूरा कारोबार पर रोक से होने वाले नुकसान का अध्ययन और सही निष्कर्षों का समावेश करते हुए अक्टूबर 2016 में ही अपनी अनुशंसाएं राजस्व विभाग को सौंप दी थी
समिति ने 85 - 87 प्रतिशत मूल्य वृद्धि तत्काल प्रभाव से लागू करने की अनुशंसा की थी-
पटेल ने कहा कि इस समिति ने किसानों को प्रति हेक्टेयर औसत अफीम उत्पादन के आधार पर दिए जाने वाले मूल्यों के प्रत्येक स्लैब में 85 से 87 प्रतिशत तक की वृद्धि करने की अनुशंसा की थी । समिति ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि तथ्यों के आधार पर अफीम के खरीद मूल्य में अनुशंसित वृद्धि को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए । पटेल ने कहा कि समिति की इस तथ्यात्मक रिपोर्ट के बाद यह उम्मीद थी कि सरकार अफीम फसल वर्ष 2016-17 से ही अफीम के क्रय मूल्य में अनुशंसा के अनुसार 85 - 87 प्रतिशत तक की वृद्धि हर स्लैब में जरूर करेगी ।
मूल्य वृद्धि के निर्णय में विलम्ब से क्षेत्र के अफीम उत्पादको को अभी तक 150 करोड़ का नुकसान-
पटेल ने कहा कि केंद्रीय राजस्व विभाग ने अपने ही द्वारा नामित समिति की ओर से सभी तथ्यात्मक पहलुओं का अध्ययन करने के बाद वाजिब आधारों पर की गई अफीम के खरीद मूल्यों में वृद्धि की सर्वथा उपयुक्त एवं न्याय संगत अनुशंसा को छह अफीम फसल वर्ष बीत जाने के बाद भी लागू नहीं किया है । अफीम उत्पादकों के हितों का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार और देश के सबसे बड़े अफीम उत्पादक नीमच - मंदसौर संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद सुधीर गुप्ता की ढिलाई और गैर जिम्मेदारी के कारण क्षेत्र के अफीम उत्पादक किसान पिछले 6 अफीम फसल वर्षों से खामियाजा भुगत रहे हैं ।
पटेल ने कहा कि सांसद सुधीर गुप्ता भाजपा की अपनी ही सरकार के रहते प्रयास कर अगर अफीम फसल वर्ष 2016-17 से ही समिति की अनुशंसा अनुसार 85 - 87 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि लागू करवा देते तो क्षेत्र के किसानों को वर्ष 2021 - 22 तक के 6 फसल वर्षों में प्रति वर्ष 25 करोड़ रु से भी अधिक की राशि और मिल सकती थी जो नहीं मिल सकी हैं । इस तरह सांसद के किसान विरोधी रवैये के कारण पिछले 6 सालों में क्षेत्र के अफीम उत्पादकों को लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि का नुकसान हो चुका है । यह वाकई अफीम उत्पादकों के साथ घोर अन्याय है जिसकी काँग्रेस कड़ी भर्त्सना करती है ।
मौजूदा अफीम फसल वर्ष से 150 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि लागू की जाए-
पटेल ने कहा कि यह बहुत निंदनीय है कि भाजपा सरकार और क्षेत्रीय साँसद सुधीर गुप्ता अभी भी अफीम उत्पादकों की घोर अवहेलना कर रहें है । किसानों को अफीम उत्पादन को लेकर आर्थिक समीकरण साधने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं लेकिन सरकार ने मौजूदा फसल वर्ष 2022 - 23 में अभी तक अफीम के खरीद मूल्यों में वृद्धि की घोषणा नहीं की है । इससे यह आशंका बन गई है कि दो - तीन माह बाद होने वाली अफीम की सरकारी खरीद में फिर वही पुरानी दरों से ही भुगतान किया जाएगा जिससे किसानों को पुनः इस साल भी करोड़ रु कम मिलेंगे ।
पटेल ने सरकार से पुरजोर माँग की है कि वर्ष 2023 में होने वाली अफीम खरीद में किसानों को वर्तमान मूल्यों में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के अनुपात में भुगतान किया जाए । पटेल ने कहा कि वर्ष 2016 में समिति द्वारा अनुशंसित मूल्य वृद्धि की मात्रा पिछले 6 सालों में हर स्तर और हर सामग्री के दामों में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी के मद्देनजर अब अप्रासंगिक एवं अपर्याप्त हो गई है । महंगाई की अपार वृद्धि से उत्पादन लागत में हुई वृद्धि को देखते हुए यह न्याय संगत है कि किसानों को अब 150 प्रतिशत से अधिक कीमत प्रदान की जानी चाहिए । अगर ऐसा नहीं होता है तो काँग्रेस के बैनर तले अफीम उत्पादकों को न्याय दिलाने के ठोस प्रयास किये जायेंगे ।