भवानीमंडी। गत 25 तारीख को एक निजी नवजीवन हॉस्पिटल के मैनेजमेंट को 8 साल के बच्चे की मौत का कारण माना जा रहा हें। ऐसा कहना है बच्चे के पिता आशीष पारेता का की मेरे बच्चे की मौत हॉस्पिटल के स्टॉफ की लापरवाही से हुई है। डॉ शैलेन्द्र पाटीदार नहीं थे तो मुझे प्राइमरी इलाज कर बच्चे को आगे ले जाने की बोल सकते थे लेकिन मुझे 7 घंटे वहीं उलझाया रखा। इसीलिए में अपने बच्चे की मौत कारण नवजीवन हॉस्पिटल को और वहां के मैनेजमेंट को ठहराता हूँ। जो कांच की तरह साफ है और जो मेरे बच्चे के साथ लापरवाही हुई है वो किसी और बच्चे के साथ ना हो इसलिए मुझे न्याय चाहिए।
इसी मामले में पुलिस अधीक्षक ऋचा तोमर जो भवानीमंडी निरीक्षण के लिए आई थी उनको उपखण्ड कार्यालय भवानीमंडी में बच्चे के पिता आशीष पारेता ने ज्ञापन दिया था और जल्द से जल्द जांच कर बच्चे को न्याय दिलाने की लिए मांग की थी। लेकिन पुलिस प्रशासन की ओर से अभी तक कोई जांच नहीं हुई, फिर मामले में 28 जनवरी को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन शाखा भवानीमंडी द्वारा दोपहर 3 बजे बिना मिडिया को सूचित किये बिना ही आपतकालीन बैठक बुलाई और चिकित्सकों ने एक स्टेटमेंट तैयार किया जिसमे बच्चे की मौत कारण एक्यूड इंफेक्टिव हिपेटाइटिस विथ एकेलकुलस कोलीसिस्टाइटिस बताया गया है। लेकिन मामला यहां भी थमने का नाम नहीं ले रहा था। जब एसपी ऋचा तोमर द्वारा कोई जांच नहीं बिठाई तो बच्चे का पिता आशीष पारेता झालावाड़ कलेक्टर ऑफिस जा पंहुचा और फिर जिला कलेक्टर भारती दीक्षित ने मामले को सुना और तुरंत एक जिले की मेडिकल बैठक बिठाने का व मामले की जाँच मे यदि हॉस्पिटल की लापरवाही सामने आती है तो परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।
इस मामले को देखते हुए पत्रकारों ने डॉक्टरों से बात की तो डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की मौत का हमें खेद है। इस तरह से अचानक मौत होना एक विचारनीय बात है। डॉक्टर नरेश अग्रवाल ने बताया कि बच्चे का इलाज एमबीबीएस डॉ की सहमति से ही हो रहा था लेकिन बच्चे के पिता ने इस बात का खंडन कर कहा कि बच्चे को किसी भी एमबीबीएस डॉ ने नहीं देखा। डॉक्टर गौरव जैन बाल चिकित्सक मेट्रो हॉस्पिटल का कहना है कि नवजीवन हॉस्पिटल से बच्चे को लेकर लगभग बच्चे का परिवार मेरे यहाँ 2 बजे पंहुचा था मेने तुरंत बच्चे का इलाज कर जो जांचे मुझे सही लगी उसको तुरंत करवाई और मेने हॉस्पिटल से मात्र प्राइमरी इलाज कर 1.50 घंटे मे ही कोटा ले जाने को कह दिया था, और डॉ शैलेन्द्र पाटीदार नवजीवन हॉस्पिटल का कहना है कि में उस दिन शादी मे गया था मेरी फोन पर किसी से इस मामले बात नहीं हुई है या स्टाफ से यदि फोन आया भी होगा तो में उठा नहीं सका। इसका भी आशीष पारेता ने खंडन कर बताया कि यदि इस मामले मे डॉ को याद नहीं थी तो उनके लेटरहेड पर्चे पर क्यों इलाज शुरू किया गया उनके बिना। तो कहीं ना कहीं नवजीवन हॉस्पिटल सवालों के घेरे मे हें। लगातार हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर सवाल उठ रहे हें की यदि डॉक्टर नहीं थे तो आखिर 7 घंटे उस बच्चे का इलाज किस तरह चला ये पूछता है शहर। इस मामले को देखते हुए शहर के नागरिक बच्चे को न्याय दिलाने के लिए आज शाम 5 बजे केंडल मार्च निकालेंगे।