नीमच। केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना की मांग को स्वीकार किया जाना राहुल गांधी के अडिग संघर्ष, दूरदर्शिता और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की जीत है। राहुल गांधी द्वारा जातिगत जनगणना की मांग विभिन्न मंचों से पिछले वर्षों में दो लाख बार की गई है। यह बात मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और नीमच के मीडिया प्रभारी समर सिंह ने आज नीमच में कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस के दबाव में आकर भाजपा नीत गठबंधन सरकार को जातिगत जनगणना की बात मानना पड़ी। समर सिंह ने कहा कि जाति जनगणना पहला अवसर नहीं है इससे पहले भी राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दों के आगे भाजपा और केंद्र सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा है। कृषि कानून की वापसी, अग्निवीर योजना में सुधार,ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज बिल की वापसी, लैटरल एंट्री भर्ती रद्द किया जाना, रेलवे कुलियों की मांगे,जीएसटी दरों में कमी,नोटबंदी और कोविड-19 की भविष्यवाणी इसके उदाहरण है। उन्होंने पत्रकारों के सवाल के जवाब में यह भी कहा कि जातिगत जनगणना देश के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। जातिगत जनगणना तेलंगाना मॉडल पर किए जाने की मांग की। पत्रकार वार्ता में समर सिंह ने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों के संकलन वर्गीकरण और अंततः उनके प्रकाशन की स्पष्ट समय सीमा भी केंद्र सरकार को घोषित करना चाहिए।