नीमच। शहर की जनता इन दिनों बिजली की बदहाल व्यवस्था से त्रस्त है, फिर भी हैरानी की बात यह है कि आमजन चुपचाप सब सहन कर रहा है। भीषण गर्मी में दिन में कई बार बिजली गुल हो जाती है। वहीं विद्युत विभाग मेंटेनेंस के नाम पर पहले से ही चार-चार घंटे की बिजली कटौती कर रहा है। इसके बावजूद अनियमित और अनघोषित बिजली कटौती ने आमजन का जीना दूभर कर दिया है।
स्थिति यह है कि भारी शुल्क लेने के बावजूद मध्यप्रदेश विद्युत मंडल उपभोक्ताओं को संतोषजनक सेवाएं देने में पूरी तरह असफल साबित हो रहा है। लो-वोल्टेज की समस्या से फ्रिज, कूलर, एसी, एलईडी जैसे कई कीमती घरेलू उपकरण खराब हो रहे हैं।
बिजली बंद होने पर शिकायत दर्ज कराने के लिए जारी किया गया नंबर 1912 भी घंटों तक नहीं लगता। यदि किस्मत से कॉल लग भी जाए, तो बिजली सुधारने वाली टीम का आना किसी चमत्कार से कम नहीं होता।
यह सिलसिला लम्बे समय से जारी है, लेकिन न तो कोई अधिकारी जवाबदेह है और न ही कोई जनप्रतिनिधि संज्ञान ले रहा है। जिनके पास इनवर्टर और जनरेटर हैं, वे अपने परिवार को गर्मी से बचा ले रहे हैं, परंतु सामान्य जनता गर्मी, अंधेरे और खराब सेवाओं के बीच त्रस्त है।
आश्चर्य की बात यह भी है कि अब तक इस गंभीर विषय पर कोई ठोस जनआंदोलन या विरोध की आवाज नहीं उठी है। शायद नीमच की जनता अब सहने की आदत डाल चुकी है। तभी तो विद्युत मंडल मनमानी करता जा रहा है कृ जब चाहे बिजली बंद कर देता है, और जब चाहे चालू। न कोई शेड्यूल, न कोई सूचना।
प्रश्न यह उठता है कि इस लचर व्यवस्था की जवाबदेही किसकी है? क्या बिजली जैसी बुनियादी सेवा पर जवाबदारी तय नहीं की जानी चाहिए?
इस भीषण गर्मी में नीमच की सहनशील जनता के नाम यह एक जागरूकता पत्र है कृ अब चुप्पी तोड़ने का समय आ गया है।