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June 17, 2025, 4:44 pm
KHABAR : भारत की सांस्कृतिक विरासत, बालगंधर्व कला अकादमी परिवार द्वारा बरेली में भव्य मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का सफल आयोजन, पढ़े खबर

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बरेली। भारत के प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्थानों में से एक बालगंधर्व कला अकादमी परिवार, मुंबई के तत्वावधान में 16 जून 2025 को उत्तर प्रदेश के बरेली में एक भव्य मुशायरे एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन संस्था की उस विचारधारा का प्रतिफल था, जिसमें "कला केवल अभिव्यक्ति नहीं, अपितु राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम है।

यह प्रतिष्ठित अकादमी समय-समय पर केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु सम्मानित होती रही है। बरेली में आयोजित यह कार्यक्रम भारतीय साहित्यिक परंपराओं को संरक्षित करने, सामाजिक चेतना को जागृत करने तथा कलाकारों को राष्ट्रीय मंच प्रदान करने के उद्देश्य से संपन्न हुआ।

निदेशक का प्रेरणादायक संबोधन-
कार्यक्रम में बालगंधर्व कला अकादमी परिवार के माननीय निदेशक ने अपने संबोधन में कहा, "एक सच्चे कलाकार की पहचान उसकी सच्चाई, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों से होती है। कला का कोई धर्म नहीं होता और कलाकार की कोई जाति नहीं होती। ज़रूरत है कि हम अपनी क़लम को केवल इश्क़-मोहब्बत तक सीमित न रखें, बल्कि सामाजिक परिवर्तन, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक संरक्षण का माध्यम बनाएं।"

मुख्य अतिथि व अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति-
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे खुशलोक अस्पताल के निदेशक श्री विनोद प्रग्रानी, जिनकी सामाजिक सेवा भावना और साहित्यिक दृष्टिकोण ने सभी को प्रभावित किया।
गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ. उजमा क़मर सुरूर ने साहित्य को "आत्मा की आवाज़" बताया, जबकि विशेष अतिथि डॉ. शगुफ़्ता यासमीन ने साहित्य को समाज को दिशा देने वाली शक्ति बताया।
रोशनी ख़ान ने महिलाओं की सामाजिक भूमिका पर विचार रखे, वहीं डॉ. अनीस बेग ने युवाओं को साहित्य के माध्यम से राष्ट्रप्रेम और विचारशीलता की प्रेरणा दी।

सशक्त संचालन एवं आयोजन व्यवस्था-
कार्यक्रम की आयोजन प्रभारी सुनेना जिलानी रहीं, जिनकी निष्ठा और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता आयोजन की सफलता में झलकती रही। मंच संचालन का उत्तरदायित्व शान जिया ने निभाया, जिनकी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।

साहित्यकारों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ-
मंच पर आसीन और श्रोताओं को भावविभोर करने वाले प्रमुख साहित्यकारों में सम्मिलित रहे:
मणि सरस्वत – आत्मा से संवाद करती कविताएँ
मुन्तज़िर फिरोज़ाबादी – समाज की सच्चाई को दर्शाती रचनाएँ
चाँद ककरालवी – देशभक्ति और चाँदनी की कोमलता
सलमान शम्स – समय की सटीक प्रतिक्रिया
सचिन अग्रवाल – मानवीय मूल्यों की अभिव्यक्ति
सुहैल आज़ाद – सोचने पर मजबूर करने वाली ग़ज़लें
डॉ. तस्लीम शैरी – भावनाओं का गहन प्रस्तुतीकरण
फ़हीम दानिश – सादगी और गहराई का संतुलन
शान मिस्वाही – आम जीवन को असाधारण रूप देना
अली शारिक – तहज़ीब और विचारों की तपिश
ज़ाकी तारीक बाराबंकी – ज़मीन की खुशबू और इंसानियत की लौ
शफ़ीक़ रिठौरीवी – परंपरा और परिवर्तन का संगम
माहवर सिरसावी – ग्रामीण संस्कृति की सजीव झलक
यूनुस चिश्ती – आत्मा को छू जाने वाली वाणी
इरफ़ान आबिद – समाज की नब्ज़ को पकड़ने वाली रचनाएँ
अहमद अज़ीम – करुणा और क्रांति की पुकार
मध्यम सक्सेना, आरिश हाफी, ज़ुनेद शाद – हास्य और विचारशील रचनाओं से मंत्रमुग्ध कर देने वाले कवि
अकादमी का संदेश: कला है परिवर्तन की चिंगारी

कार्यक्रम के समापन पर बालगंधर्व कला अकादमी परिवार की ओर से संदेश दिया गया कि,
हमारा उद्देश्य केवल मंचीय आयोजन नहीं, बल्कि भारत के कोने-कोने में छिपी साहित्यिक प्रतिभाओं को खोजकर उन्हें सशक्त मंच प्रदान करना है। हम मानते हैं कि कला केवल मनोरंजन नहीं, परिवर्तन की चिंगारी है।

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