नीमच। लंबी भीषण गर्मी के बाद नीमच जिले में मानसून ने जोरदार दस्तक दी है। पिछले चार-पांच दिनों से हो रही लगातार झमाझम बारिश से किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। मालवांचल के खेतों में खरीफ फसलों की बोनी का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। किसानों का कहना है कि इस वर्ष समय पर बारिश शुरू होने से बुवाई का कार्य संतोषजनक रूप से आगे बढ़ रहा है, लेकिन फसलों के भाव को लेकर वे चिंतित हैं।
नीमच जिले में 10 से 20 प्रतिशत बोनी शेष-
किसानों ने बताया कि नीमच जिले के गांवों में इस बार सोयाबीन, मूंगफली, उड़द और मक्का की बोनी प्रमुख रूप से हो रही है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में अब भी 10-20 प्रतिशत बोनी शेष है। कई किसानों की फसल अंकुरित भी हो चुकी है।
किसानों की मांग- सोयाबीन के मिले उचित भाव
किसान कन्हैयालाल पाटीदार ने बताया कि इस बार सोयाबीन की पैदावार प्रति बीघा एक क्विंटल से अधिक नहीं हो पा रही है। बीज, खाद, दवाई, निंदाई, कटाई, थ्रेशिंग आदि पर करीब 6000 रुपये प्रति बीघा का खर्च आ रहा है, जबकि बाजार में सोयाबीन का भाव 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक ही सीमित है। ऐसे में किसानों को लागत भी नहीं निकल पा रही। किसानों का कहना है कि सरकार को सोयाबीन का समर्थन मूल्य कम से कम 8000 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित करना चाहिए, तभी किसान लाभ में आ पाएंगे।
नीलगाय बनी संकट- मक्का नहीं होने दे रहीं तैयार
किसान शोभाराम व अन्य की मानें तो क्षेत्र में नीलगायों का आतंक बढ़ गया है। मक्का बोने पर नीलगाय जाली तोड़कर खेत में घुस जाती हैं और पूरी फसल चौपट कर देती हैं। इससे किसान मक्का की बोनी से बच रहे हैं और मूंगफली तथा सोयाबीन की ओर रुख कर रहे हैं।
फसल चक्र अपनाने की अपील-
किसानों ने माना कि यदि फसल चक्र अपनाया जाए- जैसे एक साल मूंगफली, एक साल उड़द और फिर सोयाबीन तो पैदावार अच्छी हो सकती है। लगातार एक ही फसल बोने से मिट्टी की उर्वरता घटती है और उत्पादन कम हो जाता है।
इस बार अच्छी पैदावार की आस-
किसानों का कहना है कि इस वर्ष समय पर अच्छी बारिश हुई है, जिससे फसल की बुवाई भी सही समय पर हो गई है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार अच्छी पैदावार होगी, लेकिन इसके लिए सरकार को न्यायोचित समर्थन मूल्य और नीलगाय जैसे संकटों का स्थायी समाधान देना चाहिए।
किसानों की सीधी अपील सरकार से-
किसानों ने वॉईस ऑफ एमपी चैनल के माध्यम से सरकार से अपील की है कि सोयाबीन और मूंगफली का भाव 8000 से 10000 प्रति क्विंटल तक सुनिश्चित किया जाए। नीलगायों से फसल सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं। फसल चक्र और तकनीकी जानकारी के लिए किसानों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए।