उज्जैन। शनि ग्रह 13 जुलाई से मीन राशि में वक्री हो जाएंगे और 28 नवंबर तक इसी राशि में रहेंगे। इस वक्री काल में देश-दुनिया में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, शनि जब भी वक्री या मार्गी होते हैं, तो इसका असर तकनीकी, धार्मिक, प्राकृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में साफ तौर पर दिखाई देता है।
उन्होंने बताया कि मीन राशि में वक्री शनि धार्मिक दृष्टिकोण में बदलाव ला सकते हैं। युद्ध की स्थिति वाले देशों में सीजफायर का उल्लंघन हो सकता है। आमजन के स्वास्थ्य पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से संक्रमण और मौसमी बीमारियों को लेकर सतर्कता जरूरी होगी।
आपदाओं और आर्थिक उतार-चढ़ाव की आशंका
शनि के वक्री काल में श्रावण मास और सूर्य के राशि परिवर्तन का संयोग भी बन रहा है। इससे देश के कई हिस्सों में भारी वर्षा, बाढ़, भूस्खलन और हिमस्खलन जैसी घटनाएं संभव हैं। वहीं कीमती धातुओं और शेयर बाजार में भी उतार-चढ़ाव की स्थिति बन सकती है। मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयरों में अस्थिरता रह सकती है।