मोरवन। एक मां जब अपने बच्चे को जन्म देती है तो कितना कष्ट सहती है पीड़ा सहती है जब जाकर मां अपने बच्चे को जन्म देती है शास्त्रों में बताया गया है कि जब मां अपने बच्चों को जन्म देती है जब 1000 बिच्छू एक साथ डंक मारे इतना दर्द मां को होता है जब जाकर मां अपने बच्चे को जन्म देती है और वही बच्चा बड़ा होकर अपनी मां को कहता है कि आपने मेरे लिए करा क्या है यह सुनकर मां को कितनी पीड़ा होती होगी आप ने सोचा है मां की सेवा नारायण की सेवा से भी बढ़कर है मां पूजनीय है वंदनीय है यह बात सांडेश्वर महादेव में चल रही सात दिवसीय शिव महापुराण के छठे दिन व्यासपीठ से पूज्य महामंडलेश्वर श्री डॉक्टर 1008 हेमानंद जी सरस्वती महाराज ने कही आगे गणेश जी के जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि माता पार्वती ने पुत्र के लिए एक साल तक व्रत किया गोपाल सहस्त्र नाम का पाठ किया लड्डू भोपाल से एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी सभी देवता नो ग्रह बालक के दर्शन करने पहुंचे तो शनि महाराज भी पहुंचे लेकिन वे अपने दृष्टि अवगुण की वजह से बालक के सामने जाने से बचने लगे मां पार्वती नाराज हो गई और शनि देव को कहा क्या आप को हमे पुत्र प्राप्ति अच्छी नही लगी तो शनि देव न चाहते हुए भी गणेश जी को देखना पड़ा देखते ही बालक का धड़ सर से अलग हो गया यह सब देख मां पार्वती क्रोधित हो गई कालिका रूप धारण कर लिया और अपने रूद्र रूप में आ गए यह सब देख भगवान शिव ने अपने त्रिशूल को आज्ञा दी और कहा जो पहले आए उसका सिर लेकर आओ त्रिशूल गज का सिर लेकर आया गज का सिर बालक पर लगाकर भगवान शिव ने प्राण मंत्र छिटका ने मिलकर गणेश जी का नामकरण किया और उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया गणेश जी का जन्म हुआ एक और कथा में आता है कि मां पार्वती ने अपने उबटन के मेल से एक चौतन्य बालक का निर्माण किया वह शुभ लक्षणों से युक्त था उसके सभी अंग दोष रहित एवं सुन्दर थे उसका वह शरीर गौरवर्ण सुन्दर विशाल और अतुल्य पराक्रम से सम्पन्न था। माँ भगवती ने अपनी मन्त्र शक्ति से उसमें प्राण डाले और आशीर्वाद दिया उस चेतन्य रूप बालक ने माँ भगवती को प्रणाम किया और कहा दृ माता आपका प्रत्येक आदेश स्वीकार्य हैं। आप आज्ञा दे मैं सदैव आपकी आज्ञा का पालन करूंगा। देवी पार्वती ने कहा तूम मेरे प्रिय पुत्र हो। एक दिन माता ने पुत्र से कहा मेरे अन्तरू पुर में किसी को मत आने देना इसका ख्याल रखना। सके बाद माँ भगवती अपनी सखियों के साथ स्नान करने चली गई।
कुछ समय पश्चात भगवान शिव आये और माँ पार्वती से मिलने की इच्छा दे अंदर जाने लगे परन्तु दंडधारी गजानंद ने कहा माता स्नान कर रही हैं उनकी आज्ञा के बिना कोई भी अंदर नहीं जा सकता। मैं यहाँ माता का द्वार रक्षक हूँ। भगवान शिव माता के प्रिय पुत्र से सर्वथा अंजान थे। वे उस हठी बालक पर क्रोधित हो गये और भगवान के अपना त्रिशूल फेका जिससे माँ के प्रिय गजानंद पुत्र का सिर दूर कट कर गिर गया। पुत्र का सिर कटते ही माँ भगवती क्रोधित हो गई और उन्होंने सहस्त्रों रोद्र शक्तियों को उत्पन्न कर दिया। सर्वत्र हाहाकार मच गया। देवता ऋषि मुनि समस्त स्रष्टि भयभीत हो गई। देवता ऋषि मुनियों देवगणों सप्त ऋषियों ने माँ की स्तुति की जिससे करुणा मयी माँ भगवती के क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव ने समस्त देवगणों से कहा उतर दिशा की और जो भी बाजिव मिले उसी का मस्तक बालक के शीश पर लगाया जाए। उत्तर दिशा में कुछ दुरी पर जाते ही एक गज मिला जिसके एक ही दन्त था उसका धड़ लगाया गया अभिमंत्रित जल से छिटका देवादिदेव महादेव की इच्छा से बालक में चेतना आ गई उस समय की शोभा अत्यंत निराली थी। सभी देवताओ ने प्रसन्न मन से आशीष प्रदान की और अपने अपने स्थान चले गये। भगवान शिव ने प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया और इस संसार में गणेश के नाम से विख्यात्त हुए।शिव परिवार एक ऐसा परिवार है जहां सभी की पूजा होती है मां पार्वती का आसन शेर है शिव के गले में नाग है गणेश जी का आसन चुआ है कार्तिकेय का आसन मोर है अभी आपस में शत्रु होते हुए भी भगवान शंकर के आशीर्वाद से सभी प्रेम से रहते है। घर में सभी मिलकर रहते हैं वहां स्वर्ग का वास होता है सबके प्रति प्रेम का भाव हो आदर का भाव हो वह घर घर नहीं स्वर्ग बन जाता है किसी परिवार का मुखिया और अन्य सदस्य एक दूसरे की भावनाओं को समझते हुए बुद्धि का प्रयोग करते हुए निर्णय लें और सभी उस निर्णय पर सहमत होकर अपने-अपने कार्य करें तो सफलता निश्चित होती है वहां सुख शांति रहती है इसके विपरीत जिस घर में लोग एक दूसरे की बात नहीं मानते सब अपने अहंकार से रहते हैं वहा हमेशा क्लेस और दुख रहता है तुलसी दास जी ने भी अपनी पंक्तियों में लिखा है जहां सुमति तहां संपत्ति नाना,जहां कुमति तहां बिपति निदाना।जिस घर में आपसी प्रेम और सद्भाव होता है वहां सारे सुख और संपत्ति होती है और जहां आपस में द्वेष और वैमनस्य होता है उस घर के वासी दुखी व विपन्न हो जाते हैं मां नर्मदा की परिक्रमा का महत्व मां गंगा की उत्पति सहित कथा में आगे भगवान शिव के कई रूपों का वर्णन कर पंडाल पर उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को भक्तिमय कर दिया आज कथा के मुख्य रूप में उपस्थित विधायक व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा पहुंचे जिन्होंने व्यासपीठ पर पहुंचकर हेमा सरस्वती जी का आशीर्वाद प्राप्त किया कल रविवार कथा का अंतिम दिन है जिसमें भगवान की कई कथाओं का वर्णन कर कथा का समापन होगा कथा का सफल संचालक लाला अहीर बावल वाले ने किया।