नीमच। ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आ रहे हैं विकास को सांस लेने की फुरसत नहीं मिल रही है। लगातार वह यहां से वहां दौड रहा है। चार साल तक खूब आराम कर लिया, छक कर खाया, घोडे बेचकर सोए जब भी उठा, किसी मंदिर पर चबूतरा बनवा दिया तो कहीं टीन शेड लगवा दिया, जब मौका मिला भूमि पूजन किया, जमकर भाषण फटकारे, यशस्वी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का गुणगान किया, फोटो अखबार में छपवाए, फिर जाकर सो गया। अब नींद हराम हो रही है। यह बात एक प्रेस नोट के माध्यम से समाजसेवी किशोर जेवरिया ने कही है।
विकास को कभी कृषि उपज मण्डी आवाज लगा रही है तो कभी मेडिकल कॉलेज, कभी ट्रामा सेन्टर तो कभी जिला चिकित्सालय, कभी रेलवे फाटक का फ्लाय ओवर ब्रिज तो कभी खेल मैदान, कभी इनडोर आउटडोर स्टेडियम, कभी धहर के नाले नालों के लिये आवाज लगा रहे हैं तो कभी टूटी पुलिया अपने पूरे होने के लिये आवाज लगा रही है, कभी विकास भाटखेडा डूंगलादा रोड पर दौड रहा है तो कभी हवाई पट्टी पर, कभी शहर के अस्तबल बने स्कूलों की तरफ दौड रहा है तो कभी सीएम राईज स्कूल की तरफ। कभी खाद के लिये दौड रहा है तो कभी चंबल के पानी के लिये, कभी प्रधानमंत्री आवास योजना के लिये तो कभी आज तक लागू नहीं हुए मास्टर प्लान के लिये।
विकास इन दिनों करोडों की योजनाओं की घोषणा करवाने में व्यस्त है। काम इतने हैं कि समझ में नहीं आ रहा कि पहले कौन सा पूरा करें क्योंकि अब इतना समय ही नहीं बचा। जनता विकास से नाराज चल रही है, यह नाराजगी कहीं भारी न पड जाए, विकास इस फिक्र में भागा-भागा फिर रहा है।
मेरी तो विकास को सलाह है जब इतने साल कुछ नहीं किया तो अब क्या कर लोगे, बेकार टेंशन ले रहे हो। जनता का क्या है कोई भावनात्मक मुद्दा चुनाव में ले आना, जनता को बरगलाना, क्या मुश्किल है। जैसे पहले बरगलाते आए हो अबकि भी बरगला देना। जनता बहकावे में आ गई तो ठीक वरना 5 साल के लिये टाटा बाय-बाय।