मनासा। हमें बिना निमंत्रण अपने पिता के घर भी नहीं जाना चाहिए, बिना बुलाए किसी के भी घर जाने पर हमेशा अपमान का भागीदार होना पडता हैं। बिना बुलाए जाने पर आप अपना ओर अपने परिवार को अपयश झेलना पडता है। जिस प्रकार माता सति, भगवान भोलेनाथ के समझाने पर नहीं मानते हुए अपने पिता प्रजापति दक्ष के घर पहुंची ओर पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में बिना निमंत्रण पहुंचकर अपना एवं अपने पति का अपमान करवाया। अपमान का घुंट पिते हुए माता सति को उसी यज्ञ में अपने प्राणों की आहूती देना पडी। ठीक उसी प्रकार वर्तमान समय भी मनुष्य को बिना बुलाए किसी के घर नहीं जाना चाहिए, चाहे वो आपके पिता का ही घर क्यू नहीं हो, यह बात नगर के नीमच रोड स्थित रामेश्वरम मंदिर पर विवेकानन्द कालोनी महिला मंडल द्वारा आयोजित शिवमहापुराण कथा के दोरान पण्डित प्रमोद उपाध्याय ने उपस्थित भक्तों से कही।
पंण्डित उपाध्याय ने कहा कि आज हम बेटियो के जन्म पर खुशिया नहीं मनाते, जबकि बेटो के जन्म पर लाखों रूप खर्च करते हुए जोरशोर से खुशिया मनाते हैं। हमे बेटियों के जन्म पर खुशियां मनाना चाहिए, बेटिया कन्या रूपी धन है जो दो परिवारों को तारती है, ससुराल में रहने के बाद भी माता पिता का ध्यान रखती है, फिर भी लोग कहते है कि बेटिया पराई होती है, लेकिन कभी किसी से शिकायत नहीं करती। जबकि बेटे घर पर रहने के बाद भी अपने माता पिता का ध्यान नहीं रख पाते। जिस प्रकार हिमालय के यहा माता पार्वती का जन्म होने पर हिमालय बहुत ही प्रसन्न हुए। ठीक हमें भी बेटियों के जन्म होने पर खुश होना चाहिए।
प्रतिदिन दोपहर ढाई से 6 बजे तक चल रही संगीतमय शिवमहापुराण कथा के दोरान महिलाए भजनों पर नृत्य कर आनंद ले रही हैं। वही चोथे दिन की कथा के दोरान भगवान शिव पार्वतीजी के विवाह का आयोजन किया गया। इस दोरान भगवान शिव ढोल ढमाको के साथ बारात लेकर माता पार्वतीजी से विवाह करने पधारे, जिसका सजीव चरित्र चित्रण कथा के दोरान किया गया।