डबरा | पिछोर पैगंमबर हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी कर्बला के अमर शहीदों की याद में मनाए जाने वाला यौमे आशूरा माहे मोहर्रम का चांद दिखाई देने के साथ प्रारंभ हो गया पिछोर शहर काजी मोहम्मद सिराज खान कादरी ने बताया कि इस्लामी माह मुहर्रम का चांद दिखाई देने के साथ ही इस्लामी नव वर्ष भी प्रारंभ हो गया बुधवार की शाम मोहर्रम का चांद नजर आते ही सभी इमामबाड़ों एवं अखाड़ों पर चौकियों को गुस्ल किया गया साथ ही जामा मस्जिद इमाम बाड़े पर ताजिया रखा गया इसी के साथ ही इमामबाड़ों पर ताजिए रखने का सिलसिला प्रारंभ हो गया। शहर काजी मोहम्मद सिराज खान कादरी ने बताया कि इस माहे मोहर्रम में पैग़ंबरे इस्लाम के प्यारे नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 जांनिसार साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया गया था। मोहर्रम का महीना इन्हीं शहीदों की याद को ताजा करने के लिए जाना जाता है। कर्बला के शहीदों को खिराजे अक़ीदत पेश करते हुए अकीदतमंदों के द्वारा शुरू के 10 दिनों में महफिले मिलाद का आयोजन करना, लंगर बांटना, शरबत पिलाना कुरान ख्वानी का आयोजन करना फातिहा दिलाना जैसे नेक काम किया जाता है। माहे मोहर्रम का चांद नजर आते ही अंजुमन इस्लामिया कमेटी द्वारा रावतपुर जामा मस्जिद से ताजिया बड़ी जामा मस्जिद इमामबाड़े पर लाया गया एवं इमामबाड़े पर फातिहा पढी गई और तबर्रुक( प्रसाद ) वितरण किया गया इस अवसर पर अंजुमन इस्लामिया कमेटी के सभी सदस्य एवं अकीदतमंद मौजूद थे