नीमच। आत्मा पर कर्मों का आवरण है इसलिए वह गंदा है। बाहरी पाप कर्मों काआवरण हट जाए तो बहुत सुंदर होगा। मनुष्य के शरीर में चाहे कितने ही दुर्गुण हो लेकिन सुंदर चमडी के कारण सबको अच्छा लगता है। धर्म के 9 तत्व तत्वार्थ का ज्ञान ग्रहण करें तभी जीवन का कल्याण हो सकता है। शाश्वत परमात्मा के तत्व को समझे बिना आत्म तत्व समझ नहीं आता है। यदि हमें आत्म तत्व समझ आ गया तो जीवन धन्य हो जाएगा।
यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में जाजू बिलिं्डग के समीप पुस्तक बाजार स्थित नवनिर्मित रेशम देवी अखें सिंह कोठारी आराधना भवनघ् में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संतो के पास जाकर हमें धर्म तत्व के ज्ञान को सीखना चाहिए।बहुत पुण्य होता है तभी हमें शाश्वत परमात्मा के तत्व के ज्ञान का ग्रहण करने का अवसर मिलता है। शाश्वत धर्म को जानने की योग्यता होनी चाहिए। हमारा पुरुषार्थ कमजोर है तो परमात्मा भी कुछ नहीं कर सकते हैं। मंदिर उपवास है साधु संत चतुर्विद संघ का योग मिला इसके बाद भी यदि हम प्रयास नहीं करें तो यह हमारा ही दुर्भाग्य होगा धार्मिक प्रवचन में आस्था रुचि होगी तभी श्रद्धा टिकेगी।भले ही साधु-साध्वी नहीं बन सके कोई बात नहीं लेकिन साधु साध्वी से 9 तत्व का तत्वार्थ का ज्ञान तो ग्रहण कर सकते हैं तो भी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। रोहिंग्या चोर जैसा अपराधी तत्व धर्म की शरण में आया और उसकी आत्मा कल्याण हो गया था। फिर हम तो साधारण इंसान है हमारा कल्याण क्यों नहीं हो सकता है। भगवती सूत्र 36000 श्लोक का महत्व है।भगवती सूत्र का वाचन करने पर 108 फल 108 में 108 दीपक 108 सोना चांदी चढ़ाने का विधान है। भगवती सूत्र में पूरे संसार का सार निहित होता है।भगवती सूत्र को श्रवण करने से जीव दया, स्वाध्याय, आहार संज्ञा अवधारिक शरीर देवताओं के अलग-अलग आयुष्य तत्व का ज्ञान हमें मिलता है। रामायण महाभारत काल का उल्लेख मिलता है लक्ष्मण ने रावण का वध किया था वासुदेव बलराम लक्ष्मण का प्रसंग आज भी आदर्श प्रेरणादाई प्रसंग है।प्राचीन काल में भी बाहुबली राजा ने मंदिरों का जीर्णाेद्धार कराया था और अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया था।
श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद ,जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया,जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने।धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।