भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भविष्य में किसानों की फसल के नुकसान का सर्वे राजस्व अमला जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर करेगा। उन्होंने सभी जिला कलेक्टरों से कहा कि फसलों की क्षति का आकलन गंभीरता से करें। किसानों से संवाद के दौरान उनसे डीएपी के बजाय एनपीके खाद के उपयोग को बढ़ावा दिया जाने पर जोर दिया जाए। किसानों को जागरुक कर प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करें। कलेक्टरों और संभागायुक्तों से सीएम यादव ने यह भी कहा कि वे खाद के परिवहन के दौरान उसके दूसरे जिलों में मूवमेंट पर भी नजर रखें, ताकि कोई कालाबाजारी न कर सके।
शनिवार को मुख्यमंत्री ने सीएम हाउस के समत्व भवन में सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर की जाने वाली खरीदी और खाद बीज की उपलब्धता की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिलों में किसानों को खाद का उठाव समय और बदलते दौर में होने वाली खेती के हिसाब से किए जाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत सरकार द्वारा डीएपी का आवंटन बढाकर 8 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है, जबकि रबी 2024-25 के लिए 6 लाख मीट्रिक टन डीएपी के आवंटन की सहमति दी गई थी। मुख्यमंत्री ने कमिश्नरों-कलेक्टरों को खाद की व्यवस्था बनाए रखने को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह निर्देश दिए।
खाद के मूवमेंट पर नजर रखें अफसर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि उर्वरक की मांग बढ़ने पर कालाबाजारी, अवैध भंडारण, नकली उर्वरक निर्माण की संभावना रहती है। इसे रोकने के लिए पुलिस का सहयोग लेते हुए निरीक्षण और चेकिंग की व्यवस्था को बढ़ाया जाए। कालाबाजारी करने वालों, मिलावट, मिस ब्रांडिंग और नकली उर्वरक खपाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए। खाद के अवैध परिवहन पर नियंत्रण के लिए एक जिले से दूसरे जिले में उर्वरक मूवमेंट पर सतत निगरानी जरूरी है।
एनपीके के उपयोग के लिए करें प्रेरित
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि रबी सीजन के लिए पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध है। रबी फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति एनपीके और नाइट्रोजन कर देते हैं। लिक्विड नैनो यूरिया की उपलब्धता भी पर्याप्त है। किसानों द्वारा इनके उपयोग से दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी। ऐसे में किसानों को एनपीके आदि के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाए।
उल्लेखनीय है कि कृषि क्षेत्र में बेहतर उत्पादन ले रहे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के किसान भी इन उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता बताई।