मनासा। समूचे नीमच और मंदसौर जिले में बिजली और खाद की परेशानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। किसान दरबदर भटक रहा है। जनप्रतिनिधि और सरकार दोनों निष्क्रिय है। पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा ने एक वक्तव्य में कहा है कि क्षेत्र ने समय पर खाद और बिजली दोनों नहीं मिल पाने के कारण किसान की मेहनत पर पानी फिरने की संभावना है। उसकी फसल खराब होने के डर से वह दर बदर भटक रहा है परन्तु कोई सुनवाई नहीं है। जन प्रतिनिधि और प्रशासन दोनों केवल आने वाले खाद के आंकड़े बता कर किसान को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे है। इस बात का उनके पास जवाब नहीं है कि समय के बाद आने वाले खाद से किसान को कौनसा फायदा होगा। उसे आज खाद की जरूरत है।
नाहटा ने कहा बिजली के भी यही हाल है। एक एक सप्ताह तक गावों में बिजली बंद रह रही है। बिल नहीं भरने के नाम पर किसान की बिजली उस समय काटी जा रही है जब उसे बिजली की सख्त जरूरत है। यदि बिजली आ भी रही है तो वोल्टेज की समस्या है। स्थानीय बिजली विभाग के पास पर्याप्त संख्या में ट्रांसफार्मर नहीं है। जले ट्रांसफार्मर बदलने में लम्बा समय लग रहा है। कही-कहीं अपनी जान छुड़ाने के लिए किसानो को जले हुए ट्रांसफार्मर पकड़ा दिए गए। ट्रांसफार्मर के परिवहन की व्यवस्था भी किसान कर रहा है परन्तु उसे ट्रांसफार्मर नहीं मिल पा रहे है। सरकार खाद और बिजली दोनों उपलब्ध कराने में पूरी तरह असफल रही है।
नाहटा ने कहा कि इन समस्याओं का एक बड़ा कारण सरकार के अपने वादे से मुकर जाना भी है । जब खरीद फरोख्त कर कमलनाथ सरकार गिराई गई तब मुख्यमंत्री ने कहा था सरकार किसानो के ब्याज की राशि बैंको और सोसाइटी में जमा कराएगी। परन्तु सरकार अपने वादे से मुकर गई। इसके विपरीत कमलनाथ सरकार ने अपने वादे के मुताबिक़ 50 हजार तक की राशि बैंको में जमा करा दी थी। यदि उनकी सरकार रहती तो अब तक पूरी दो लाख तक की राशि किसानो के खाते में जमा हो जाती। शिवराज सरकार के राशि नहीं जमा कराने के कारण अब किसान को डिफाल्टर बताया जा रहा है और उसे खाद नहीं देने का यह भी एक बहाना किया जा रहा है।
नाहटा ने प्रशासन, जन प्रतिनिधियों और सरकार से आग्रह किया है कि शीघ्र खाद और बिजली की समुचित व्यवस्था करे। घोषणा के अनुरूप ब्याज की राशि जमा कराये। घोषणा करे कि कोई किसान डिफाल्टर नहीं माना जाएगा। ट्रांसफार्मर की समुचित व्यवस्था करे। 24 घंटे पूरी बिजली उपलब्ध कराये इस बात को समझे कि सरकार की असफलता के कारण उपज रहे किसान के आक्रोश का सामना सोसाइटी और बिजली कर्मियों को झेलना पड़ रहा है।