चित्तौड़गढ़ । राजस्थान में 2023 के आम चुनाव को लेकर एक तरफ कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल को दोहराने का दावा कर रही है तो वहीं दुसरी ओर कांग्रेस सरकार में चित्तौड़गढ़ नगर परिषद् में कांग्रेस का ही बोर्ड होने के बावजूद नगर परिषद क्षेत्र में चारों तरफ सड़कों, नालियों और सफाई व्यवस्था के हाल बदहाल नजर आ रहे हैं।
इसी चरमराती नगर परिषद की अव्यवस्थाओं को लेकर चित्तौड़गढ़ शहर के कालिका नगर निवासी मुकेश शर्मा ने बताया कि नगर परिषद के वार्ड 8 के कालिका नगर, कीर्ति नगर और पुष्पा विहार के क्षेत्रवासियों ने राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि विगत कई वर्षों से कॉलोनियों में नल, नाली और सड़कों जैसी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिसके चलते कई बार क्षेत्रीय पार्षद को भी अवगत करवाया गया व सभापति संदीप शर्मा को भी अवगत करवाया गया।
इन सब के पश्चात भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो सभी कॉलोनी वासी राज्य मंत्री जाड़ावत के पास पहुंचे और उनका घेराव कर दिया।
क्षेत्र वासियों ने अव्यवस्थाओं को लेकर असंतोष जाहिर करते हुए अगले चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने व 2 महीने में मांग पूरी नहीं होने पर कॉलोनियों वासीयों द्वारा अनशन करने की चेतावनी दी है।
कॉलोनीवासियों द्वारा नगर परिषद् प्रशासन को कई बार शिकायत की गई की कॉलोनी में सरकारी जमीन व उद्यान पर अतिक्रमणकारियों द्वारा अवैध कब्जे किए जा रहे हैं उस पर भी नगर परिषद् आंख मूंदकर तमाशा देख रही है इस अतिक्रमण को देखकर भी कॉलोनी वासियों में बहुत रोष है।
निम्न मांगों को लेकर कॉलोनी के गणपत सिंह, ईश्वर सोमानी, मिट्ठू लाल तिवारी, सत्यनारायण प्रजापत, सुरेश जैन, ओम शर्मा, प्रेम टेलर, गोपाल पटवा, अनिल शर्मा, दीपक पंचोली, विनोद पंवार, महिपाल सिंह भाटी, संजय माली, अमित भट्ट, घनश्याम सिंह, सुरेंद्र सिंह, कमल पटेल, चंद्र सिंह, वैभव शर्मा, मनीष साहू, उज्ज्वल जायसवाल, लाल शंकर शर्मा, सूरज मूंदड़ा, अशोक जोशी, भगवती आचार्य, सुधा तिवारी, सीमा माली, अंजना नंदवाना, संगीता छिपा, राधा गट्टानी, पूजा साहू और अनेकों महिलाएं और पुरुष मौजूद रहें।
बता दें कि शहर तो शहर जिला कलक्टर कार्यालय में भी गंदगी का नजारा देखा जाना आम बात हो चली है। जिला कलक्टर कार्यालय के पेड़ों की लटकती टहनियों को तो कई सालों से ट्रिमिंग तक नहीं कराया गया है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर बने सुलभ काम्प्लेक्स में तो निःशुल्क शोचालय तक नहीं होने से सरकारी कर्मचारियों को भी खुलें में पेशाब करने के लिए विवश होना पड़ता है ऐसे में जब जिला प्रशासन के नाक के नीचे ही हाल बदहाल हो चले हैं तो शहर की अव्यवस्थाओं पर ध्यान कौन देने वाला है यह एक सोचने वाली बात ही है।