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March 22, 2023, 11:13 am
BIG NEWS : राजस्थान में इस बार विधानसभा चुनाव में होगा बड़ा खेल, जानिये भाजपा किसका काटेगी टिकट और कौनसी सीटें है कमजोर, पार्टी पदाधिकारियों की क्या है योजना, पढ़े रेखा खाबिया की खबर 

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जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर अब मात्र 7 महीने ही बचे हैं और राजस्थान के दोनों राजनीतिक प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस पूरी तरह से अब चुनावी अंदाज में आ गए हैं कांग्रेस ने जहां जनता को लुभावने वाला बजट देकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है।

वहीं भाजपा मैं राजस्थान जीतने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव योजना तैयार की है योजना को पांच श्रेणी में बांटा गया है और इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर प्रदेश स्तर से दो वरिष्ठ भाजपा नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

किस विधानसभा चुनाव के तहत 200 ही विधानसभा की सीटों को पांच श्रेणी में विभाजित कर अलग अलग रणनीति तय की जा रही है जिसमें प्रमुख रूप से कौन सी सीट जहां भाजपा एक चुनाव हारी है तथा ऐसी कौन सी सीट है जहां भाजपा दो चुनाव हारी और ऐसी कौन सी सीटें हैं।

जहां पिछले तीनों चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा हार का प्रमुख कारण क्या रहा ऐसे कई सवाल और बिंदु है जिन पर भाजपा ने मंथन और कार्य शुरू करना प्रारंभ कर दिया है।

भाजपा ने 200 विधानसभा सीटों को 5 चरण में विभाजित करके आकलन करना प्रारंभ कर दिया है और इसके लिए दो वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व मंत्री अजमेर से विधायक वासुदेव देवनानी तथा रानीवाड़ा से विधायक नारायणसिंह देवल को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।


भाजपा का विधानसभा चुनाव मिशन 2023 का जो प्लान तैयार किया गया है और जिसे 5 श्रेणी में बांटा गया जो इस प्रकार है ।

श्रेणी 1दृ ऐसी 37 विधानसभा सीटें जहां भाजपा 2008 और 2013 में जीती लेकिन 2018 में हारी

खाजूवाला बीकानेर वेस्ट पिलानी खंडेला विराटनगर झोटवाड़ा जोधपुर बिलाड़ा नोहर शाहपुरा (जयपुर) आदर्श नगर चाकसू किशनपोल किशनगढ़ बास बहरोड थानागाजी रामगढ़ कठूमर नगर भरतपुर नदबई बेर बसेड़ी मेड़ता बयाना परबतसर मारवाड़ जंक्शन डेगाना शेरगढ़ लोहावट जैसलमेर भोपालगढ़ सिरोही प्रतापगढ़ भीम और नाथद्वारा भाजपा इन 37 सीटों को महत्वपूर्ण मानकर चल रही है और माना जा रहा है कि यहां भाजपा काफी मजबूत है ।


लेकिन इस आकलन में यह देखा जा रहा है कि भाजपा 2008 और 2013 में यहां से चुनाव जीती लेकिन 2018 में ऐसे क्या कारण रहेगी इन सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा और कौन सी गलतियां हुई क्या चेहरे चुनाव में गलत थे और जो प्रत्याशी पिछले चुनाव में उतारे गए थे।

क्या उनको लेकर नाराजगी थी क्या चुनाव में कार्यकर्ता निष्क्रिय रहे क्या चुनाव में प्रबंधन सही नहीं था जिससे समय करण बदले और हार हुई इन सीटों पर 2023 में होने वाले चुनाव में भाजपा कैसे वापस वापसी करें इसको लेकर मंथन किया जा रहा है और संभावना है कि अधिकतर नए चेहरे इन सीटों पर उतारे जाएंगे ताकि भाजपा फिर से इन सीटों पर वापसी कर सकें।

श्रेणी  2दृ ऐसी 58 सीटें जहां 2013 में भाजपा जीती लेकिन 2008 और 2018 में यहां से हारी।

श्रीमाधोपुर नीमकाथाना हनुमानगढ़ भादरा श्री डूंगरगढ़ करणपुर सुजानगढ़ धोद दूदू जमवारामगढ़ तिजारा अलवर ग्रामीण हवामहल सिविल लाइन बगरू बांदीकुई महुआ दौसा हिंडौन बामनवास सवाई माधोपुर गंगापुर सिटी निवाई टोंक देवली उनियारा खंडार किशनगढ़ मसूदा केकड़ी लाडनूं डीडवाना नांवा ओसिया जायल पोखरण लूणी शिव बायतु पचपदरा गुडामालानी चौहटन खेरवाड़ा सागवाड़ा चौरासी डूंगरपुर बांसवाड़ा कुशलगढ़ बेगू निंबाहेड़ा मांडल सहाड़ा पीपल्दा कोटा नार्थ अंता किशनगंज सांगोद बांरा अटरू।

यह सभी 58 ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा इनको कमजोर सीटों की श्रेणी में मान रही है और 2013 में भाजपा केवल यहां से इसलिए जीत सकी कि कांग्रेस के खिलाफ यह लहर थी पार्टी के वरिष्ठ नेता इन सभी विधानसभा सीटों पर बूथ कमेटियों और पन्ना प्रमुख तैनाती के अलावा ऐसी रणनीति बना रही है।


कि यहां कांगरे सरकार के विरोध में माहौल बनाया जाए और जातिगत आधार पर बड़े नेताओं की चुनावी रैली की तैयारी कराकर रैली कराई जाए इनमें प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित केंद्रीय नेताओं के दौरे भी कराए जाएंगे।

यहां पर कांग्रेस सरकार की नीतियों की विफलता कब प्रमुख रूप से प्रचार-प्रसार करने के लिए पार्टी ने सोशल मीडिया सेंटर तैयार किया है और करीब 45000 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं इन के माध्यम से कांग्रेस सरकार की खामियों को आमजन तक पहुंचाया जाएगा प्रदेश पार्टी मुख्यालय में अलग से व्हाट्सएप वार रूम बनाया जा रहा है।

श्रेणी  3दृ ऐसी 31 सीट है जहां भाजपा ने 2008 के चुनाव को छोड़कर उसके बाद के दोनों चुनाव जीते हैं।


पुष्कर नसीराबाद सूरतगढ़ अनूपगढ़ संगरिया चूरू मालपुरा जैतारण सुमेरपुर फलोदी आहोर जालौर गोगुंदा उदयपुर ग्रामीण मावली सलूंबर धरियावद रानीवाड़ा पिंडवाड़ा आबू आसपुर घाटोल गढी बड़ी सादड़ी चित्तौड़गढ़ कपासन शाहपुरा(भीलवाड़ा) मांडलगढ़ केशोरायपाटन छाबड़ा डग मनोहर थाना।

यह 31 सीटें ऐसी है या भाजपा ने 2008 में हार का मुंह देखा लेकिन इसके बाद 2013 और 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में लगातार जीत सिल्की इसलिए भाजपा यहां थोड़ी राहत में है लेकिन भाजपा या आशंकित भी है कि कहीं इन सीटों में से कोई समीकरण बिगड़ने से हार नहीं हो जाए इसके लिए रणनीति बनाकर विशेष ध्यान रखिए।

ऐसी सीटों पर कोशिश होगी कि यहां वर्तमान विधायक की अगर जनता में छवि खराब है या विरोध है तो उसका टिकट काट दिया जाएगा और बदलाव करके नए चेहरे को उतारा जा सकता है अन्यथा उसे ही पुनः टिकट दिया जाएगा । 


श्रेणी  4दृ इस श्रेणी में ऐसी विधानसभा की 19 सीटें हैं जहां भाजपा लगातार तीनों चुनाव हारी है।वल्लभनगर बागीदौरा बस्सी सांचौर बाड़मेर सरदारपुरा लालसोट सिकराय सपोटरा टोडाभीम बाड़ी राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ कोटपुतली फतेहपुर खेतड़ी दातारामगढ़ झुंझुनू और नवलगढ़ यह 19 विधानसभा सीटें ऐसी है जहां भाजपा तीनों चुनाव हारी है और यहां जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे हर चुनाव में हावी रहते हैं।

लेकिन भाजपा इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में अपना परचम फहराने के लिए इस तरह से रणनीति बना रही है कि यहां जातीय समीकरण का मंथन करने के साथ ही इस बार यहां से नए चेहरों को चयन करने में खास ध्यान और आकलन किया जा रहा है इसके साथ ही भाजपा इन विधानसभा क्षेत्रों में अपने केंद्रीय नेताओं के दौरे और सभा है कराने की भी तैयारी कर रही है।

श्रेणी  5- यह ऐसी 28 विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा लगातार तीनों चुनाव जीत रही है।विद्याधर नगर फुलेरा मालवीय नगर सांगानेर अलवर शहर अजमेर दक्षिण अजमेर पश्चिम बीकानेर ईस्ट रतनगढ़ ब्यावर नागौर सोजत पाली बाली सूरसागर भीनमाल सिवाना रेवदर राजसमंद उदयपुर भीलवाड़ा आसींद बूंदी कोटा साउथ रामगंज मंडी झालरापाटन खानपुर और लाडपुरा।

भाजपा इन 28 सीटों पर लगाता तीनों चित्र चुनाव जीतने से काफी मजबूत स्थिति में है लेकिन इसके बाद भी भाजपा इन 28 ही विधानसभा सीटों को लगातार चौथी बार जीतने के लिए रणनीति बना रही है।

इस रणनीति के तहत जिन सीटों पर वर्तमान विधायकों की आयु अधिक हो चुकी है और जहां लगातार एक ही चेहरे को बार-बार चुनाव लड़ने से लोगों के मन में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है यहां भाजपा अपने आकलन और सर्वे के हिसाब से नए चेहरे भी उतार सकती है अर्थात वर्तमान विधायकों के टिकट भी काट सकते हैं।

भाजपा केंद्र नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर नजर रखते हुए रणनीति बना फोकस कर रही है और इसमें विशेषता 170 सीटों पर ज्यादा फोकस है जहां एक एक अनुभवी नेता को विस्तारक के रूप में चुनाव होने तक जिम्मेदारी दी जा रही है ।

इसके अलावा तीसरे चुनाव में जिन सीटों पर बगावत हुई और जिन नेताओं के कारण भाजपा हारी उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था उन पुराने नेताओं को वापस घर वापसी के बिकाऊ आज चल रही है इसके अलावा जातिगत समीकरण देखते हुए संगठन को मजबूत बनाया जा रहा है।

आखिर जातिगत समीकरण क्या रहे क्यों हारे सीट की सामाजिक और भौगोलिक स्थिति क्या है पिछली बार जिन को टिकट दिए गए उनका भी आकलन किया जा रहा है तथा लगातार जीतने वाले विधायकों कि इस बार सेक्टर में नाराजगी तो नहीं है।

भ्रष्टाचारी छवि को लेकर कोई मुद्दा तो नहीं है सत्य और साफ छवि वाले नेताओं को ही टिकट दिया जाएगा स्थानीय स्तर पर संगठन को और मजबूती से काम करने के लिए एक्टिव किया जा रहा है।

इसके अलावा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर से भी एक आंतरिक सर्वे का दूसरा दौर शुरू हो चुका है जो अंतिम चरण में है इसके अलावा कुछ एजेंसियां भी सर्वे कर रही है जो केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर काम कर रही है।

2023 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की कहां-कहां सेवाएं हो सकती है।जयपुर जोधपुर जैसलमेर बाड़मेर डूंगरपुर बांसवाड़ा श्री गंगानगर हनुमानगढ़ झुंझुनू सीकर भरतपुर प्रमुख है।

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