सीएम शिवराज सिंह चौहान के नीमच दौरे के बाद आज शनिवार को जिला कांग्रेस ने एक प्रेस वार्ता रखी, जिसमें जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया कुछ नहीं बोले और उन्होंने कहा की जिला कांग्रेस की और से चार नेता नंदकिशोर पटेल, उमराव सिंह गुर्जर, राजकुमार अहीर और तरुण बाहेती बात करेंगे और इस प्रेसवार्ता में हुआ भी यहीं। जिलाध्यक्ष न के बराबर बोले और पत्रकारों के सवालों के जवाब के लिए इन चार नेताओं को ही आगे करते दिखे और इन्हीं चार नेताओं ने मीडिया के सवालों के जवाब दिए।
प्रेसवार्ता के बाद वॉइस ऑफ़ एमपी की टीम ने इन सभी नेताओं से बातचीत की तब भी जिलाध्यक्ष न के बराबर बोले और अधिकांश सवालों का जवाब इन चार नेताओं के साथ पार्षद योगेश प्रजापति, बर्जेश मित्तल और महेश वीरवाल ने दिए।
वॉइस ऑफ़ एमपी की टीम ने जब इन तमाम नेताआंे से कहा की जब चारों तरफ मुद्दों की भरमार है तो फिर कांग्रेस सड़कों पर क्यों नहीं आती, क्यों नहीं धरना प्रदर्शन करती केवल कमरे में बैठकर राजनीति करती है। इस पर जिलाध्यक्ष चौरसिया ने केवल इतना कहा कि बेमौसम बारिश से लहसून, अफीम और जौ में भारी नुकसान हुआ है। अभी किसान काम में लगे हैं। वे जब फ्री हो जाएंगे तब हम सड़कों पर आएंगे।
इस पत्रकार वार्ता को बुलाया जिलाध्यक्ष के नाम से था, लेकिन अचरज की बात रही की अनिल चौरसिया ने भाजपा के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा और तो और जब वॉइस ऑफ़ एमपी की टीम ने वन टू वन बातचीत की तब भी वे कुछ नहीं बोले केवल ऊपर लिखी गयी बात के अलावा, जब उनसे बंगला - बगीचा पर पूछा गया तो वे बोले नगर पालिका चुनाव के पहले हमने बंगला - बगीचा वालों को कहा था आप हमें वोट करना हम पहली ही बैठक में इस समस्या का हल कर देंगे, लेकिन उन्होंने हमें वोट ही नहीं किया। कांग्रेस हारी ही बंगला - बगीचा वासियों के वोट नहीं मिलने के कारण।
यह पूरी खबर आप वॉइस ऑफ़ एमपी के यूट्यूब चैनल पर विस्तार से देख सकते हैं। अब अचरज की बात यह है कि जिलाध्यक्ष बीजेपी के खिलाफ बोलने से क्यों कतराते रहे। जब उन्होंने प्रेसवार्ता बुलाई तो उन्हें फ्रंटफुट पर खेलना था, लेकिन वे तो बैकफुट पर जाते नज़र आये। ये प्रेसवार्ता शहर में जमकर चर्चा का विषय बन रही है।
एक तरफ जहाँ जिलाध्यक्ष बीजेपी के खिलाफ बोलने से कतरा रहे थे, तो दूसरी तरफ नंदू पटेल, उमराव गुर्जर, और तरुण बाहेती ने जमकर बल्लेबाजी की और पत्रकारों के सवालों के सिलसिलेवार जवाब दिए। जबकि मास्टर प्लान की मंजूरी, पोस्ता दाना छनाई का लाइसेंस, डोडा चूरा निस्तारण का आधार में लटका मामला, लगातार कम होते जिंसों के भाव, समर्थन मूल्य, बेमौसम बारिश से तबाह हुए किसानों के लिए राहत पैकेज, जिला अस्पताल की बदहाल स्थिति, बंगला - बगीचा, नीमच नगर पालिका में स्टाफ की कमी जैसे विषय पर वे अकेले ही जमकर बीजेपी को घेर सकते थे।
कुलमिलाकर कांग्रेस के नेता इतने मुद्दों के बावजूद किसानों और जनता के हिट में सड़कों पर उतरने का साहस नहीं कर पा रही, और केवल प्रेसवार्ता कर और मीडिया को बयान जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान रही है। इसलिए जनता कहने लगी है कागजों में है कांग्रेस।