कटनी। शहर के प्रसिद्ध प्राचीन मां चौसठ योगिनी जालपा मंदिर से चैत्र नवरात्र के समापन पर नवमी को जवारा शोभायात्रा निकाली गई। सैकड़ों महिलाएं सिर पर कलश रखकर शोभायात्रा में शामिल रही। देवी भक्तों ने माता के बाने परंपरा अनुसार धारण किए। यहां पुरानी बस्ती में रहने वाले रजक समाज की तीसरी पीढ़ी माता के बाने हर साल दोनों नवरात्र पर्व पर ले रही है। मंदिर परिसर से शुरू हुई जवारा शोभायात्रा मसुरहा वार्ड की सकरी गलियों से होकर परंपरा अनुसार कटनी नदी पहुंची। यहां जवारों का विसर्जन किया गया। कटनी की मान्यता के अनुसार जालपा मंदिर के जवारा विसर्जन के साथ ही चैत्र नवरात्र पर्व का समापन हो जाता है। और देवी भक्त उपवास भी तोड़ते हैं। जवारा विसर्जन शोभायात्रा देखने बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। एक और प्राचीन परंपरा यह भी है कि शहर के सभी देवी मंदिरों के जवारे उठकर जालपा मंदिर पहुंचते हैं। और फिर नदी की ओर रवाना होते हैं। यह सिलसिला दोनों नवरात्र पर्व पर 2 से 3 दिन तक चलता है। देर रात तक पुरानी बस्ती की सकरी गलियां जागती रहती हैं।