नीमच। तिरंगा हमारी आन बान और शान का प्रतिक है। तमाम सार्वजनिक कार्यक्रमों और अवसरों पर इसे सलाम करना हमारा कर्तव्य है। लहराता हुआ राष्ट्रीय ध्वज निश्चित ही हमें सुखद अनुभव के साथ गर्व महसूस कराता है। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति में नीमच में मोहम्मद अली बेग द्वारा चलाई गई पहली गोली को याद कर इठलाते हुए हम गौरव दिवस तो मना रहे है, लेकिन उसकी मूल आत्मा में बसे तिरंगे को हम क्यों भूल जाते हैं?
हम बात कर रहे हैं लायंस पार्क के यहां लगे एक ऊंचे पोल की, जिस पर तिरंगा लहराता रहता था। जहां पर गौरव दिवस का कल शुभारंभ किया गया। गौरव दिवस जिसे राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होकर मनाने का हमारे जनप्रतिनिधि ढिंढोरा पीटे जा रहे है। वहां हम तिरंगे को लहराना कैसे भूल गए। लंबे समय से यह पोल उजाड़ स्थिति में बिना मतलब के तना हुआ खड़ा है। गौरव दिवस के कार्यक्रम में तमाम अधिकारी और जनप्रतिनिधि आए। लेकिन किसी को इसकी सुध नहीं। यहां सातों दिन और 24 घंटे हमेशा तिरंगे को लहराने की बात थी। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा। रखरखाव के अभाव की दुहाई देकर इसे उतार लिया गया। लेकिन यह बुलंद शान से और सम्मान से लहराता रहे, इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई। केवल राष्ट्रीय पर्व पर अब यहां झंडा लहराया जाता है। गौरव दिवस वतन के लिए जज्बात जताने का खास मौका था, लेकिन यहां राष्ट्रीय ध्वज नहीं लगा।
यहां गौरतलब है कि नीमच के स्टेशन पर हमेशा हमारे मस्तक का ताज तिरंगा लगातार शान से लहराता है, तो लायंस पार्क चौराहा पर क्यों नहीं। जबकि सबसे पहले सार्वजनिक स्थलों में तिरंगे के लिए पोल की व्यवस्था यहीं पर की गई थी।