नीमच। कांग्रेस के युवा एवं किसान नेता एडवोकेट रमेश राजोरा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा नेता और युवा लोग 400 पार का नारा लेकर गली गली में घूम रहे थे। वे अपने किसान पिता की सोयाबीन के भाव 6000 पार की बात क्यों नहीं कर रहे हैं।
एडवोकेट रमेश राजोरा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में किसानो का हमेशा शोषण हुआ है। आज किसान को अपनी फसल की लागत मूल्य तक नहीं मिल रही है। भाजपा ने चुनाव मे वादा किया था कि किसान की आय 2023 में दो गुना कर देंगे। वह तो दूर की बात अब किसान की आय आधी रह गई है। किसान की फसल सोयाबीन में लागत मूल्य ही लगभग 5000 रूपए प्रति क्विंटल है और किसान की सोयाबीन आज मंडी में 4000 रूपए प्रति क्विंटल बिक रही है। सभी फसलों में किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेता चुनाव के समय किसान हितेषी होने की बातें करते हैं और चुनाव के बाद किसानों का शोषण करके पूंजीपतियों का भला करते हैं। जब अडानी का अंबानी जैसे उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया जा सकता है तो किसानो का कर्ज माफ क्यों नही किया जा सकता है। परंतु भाजपा शासन मे किसान अपने कर्ज माफ की बात करता है तो उस पर गोलियां चलाई जाती है। उनको जेल में बंद किया जाता है और जो कानून किसान नहीं मांगते हैं वह काले कानून भी किसानों पर जबरन लगाये जाते हैं।
एडवोकेट रमेश राजोरा ने कहा कि किसानों के फसलों के समर्थन मूल्य निर्धारण होना चाहिए और उसमे लागत मूल्य और लाभ जोड़कर राशि का निर्धारण किया जाना चाहिए और सोयाबीन की समर्थन मूल्य 6000 रूपए प्रति क्विंटल सरकार को निर्धारित करना चाहिए।
रमेश राजोरा ने आगे कहा कि जब 2013 में सोयाबीन के भाव 5000 रूपए प्रति क्विंटल थे तो सोयाबीन का तेल 70 रुपए किलो था और आज सोयाबीन का तेल 120 रूपए किलो हो गया तो फिर किसान की सोयाबीन का भाव क्यों नहीं बढ़ रहा है इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा की सरकार शुद्ध रूप से उद्योगपतियों की सरकार है अगर किसानों की सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6000 रूपए प्रति क्विंटल नहीं किया गया तो किसान उग्र आंदोलन करेंगे।