भोपाल। सीएम डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में भोपाल के रवींद्र भवन में राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण समारोह चल रहा है। इसमें हिंदी भाषा के साहित्य सृजन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए देश और दुनिया के प्रतिष्ठित लेखकों का सम्मान भी किया गया। संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा, मध्यप्रदेश में अब एमबीबीएस, इंजीनियरिंग, बी-टेक की पढ़ाई भी हिंदी में हो रही है। इसके पाठ्यक्रम हिंदी में तैयार किए गए हैं। हिंदी सबको एक सूत्र में पिरोती है। इसलिए हम सभी संकल्प लें कि हिंदी में ही बोलचाल और काम करेंगे। इससे हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलेगा।
मंत्री लोधी ने कहा, लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ा रहे हैं। उन्हें लगता है कि इससे बच्चों का उत्थान ज्यादा होगा। इससे हम पाश्चत्य विचारों का अदान-प्रदान करते हैं। अब अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने वाले बच्चे का जन्मदिन मनाने का तरीका बदल गया है। अपने जन्मदिन पर पहले बच्चा सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम करता था और मंदिर में जाता था। आज मोमबत्ती जलाकर उसे फूंककर बुझाता है। फिर फूंका और थूंका हुआ केक सबको खिलाता है। हिंदी भाषा के प्रयास से हम भारतीय संस्कृति, संस्कार, परंपरा और पुर्वजों के निकट आते हैं।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान-2022 डिजिटल इंडिया भाषिणी संस्थान (नई दिल्ली) के सीईओ अमिताभ नाग को यह सम्मान दिया गया। 2023 के लिए यह सम्मान अमकेश्वर मिश्रा (भोपाल) को दिया गया। राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान-2022 का डॉ. हंसा दीप (टोरंटो, कनाडा) एवं 2023 का डॉ. अनुराग शर्मा (पेंसिलवेनिया, अमेरिका) को, राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान-2022 अतिला कोतलावल (श्रीलंका) एवं 2023 का दागमार मारकोवा (चेक गणराज्य) को दिया गया। हालांकि, वे कार्यक्रम में नहीं आ पाईं। उनकी जगह यह सम्मान सुषमा शर्मा ने प्राप्त किया। राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान-2022 डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र (मुंबई) एवं 2023 का देवेंद्र मेवाड़ी (नई दिल्ली) को दिया गया। इसी तरह राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान-2022 डॉ. दामोदर खड़से (पुणे) एवं 2023 का डॉ. मनमोहन सहगल (पटियाला) को दिया।
राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान-2022 से सम्मानित की गईं श्रीलंका की अतिला कोतलावल ने हिंदी में ही अपना भाषण दिया। उन्होंने कहा कि मेरी मातृभाषा सिंहली है। दूसरी भाषा हिंदी सीखी है। मैं पिछले 24 साल से श्रीलंका में हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रही हूं। हालांकि, हिंदी सिखाना बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन भारत की मदद से मैं अपने काम में सफल हो पाई हूं। भोपाल को इतना साफ-सुथरा देखकर मुझे भोपाल से भी प्यार हो गया है। अब तक मुझे भारत और हिंदी से प्यार था।। हिंदी ने मुझे विश्व तक पहुंचाया है। इस वजह से मुझे जो कुछ मिला वह मैं बता नहीं सकती। इतने सारे लोगों से मैं बात कर पा रही हूं, यह सिर्फ हिंदी की वजह से है।
उन्होंने कहा कि मैं यहां बच्चों से हिंदी में बात करती हूं तो वे अंग्रेजी में जवाब देते हैं। इस पर मैं बच्चों को हिंदी में बात करने का कहती हूं। मैं विदेशी होकर भी हिंदी को अपनाया है। हिंदी से आपकी पूरे विश्व में पहचान बन सकती है। मैं प्रधानमंत्री से मिलकर हिंदी में बात करना चाहती हूं। मैं बताना चाहती हूं कि हिंदी में बात करके कौन, कहां तक पहुंच सकता है।